Amarnath yatra 2022: हिमालय की दुर्गम पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है अमरनाथ धाम. भारतीय संस्कृति की सुप्रसिद्ध तीर्थ यात्राओं में बाबा अमरनाथ की यात्रा का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से गुफा में बने शिवलिंग का दर्शन करता है उसको जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है. भगवान शिव ने इसी गुफा में माता पार्वती को अमृत्व का रहस्य बताया था इसलिए इस गुफा को अमरनाथ गुफा कहा जाता है.
बर्फ से शिवलिंग बनने की वजह से इसे 'बाबा बर्फानी' भी कहते हैं. इस साल अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरु हो रही है जो 43 दिनों के बाद 11 अगस्त 2022 यानी रक्षाबंधन के दिन खत्म होगी. आइए जानते है अमरनाथ धाम का इतिहास और इसके चौंकाने वाले रहस्य.
अमरनाथ धाम के रहस्य
- यह दुनिया का एकमात्र शिवलिंग है जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता है. हर साल यहां श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शिवलिंग पूरा होता है और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक आकार में काफी घट जाता है.
- हर साल इस गुफा में बर्फ का शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है. बर्फ का शिवलिंग, गुफा की छत में एक दरार से पानी की बूंदों के टपकने से बनता है। बेहद ठंड की वजह से पानी जम जाता है और बर्फ के शिवलिंग का आकार ले लेता है.
- बर्फ के शिवलिंग के बाईं ओर दो छोटे बर्फ के शिवलिंग भी बनते हैं.कहा जाता है कि ये मां पार्वती और भगवान गणेश का प्रतीक हैं.
- अमरनाथ में भगवान शिव के अद्भुत हिमलिंग दर्शन के साथ ही माता सती का शक्तिपीठ होना एक दुर्लभ संयोग है. 51 शक्तिपीठों में से महामाया शक्तिपीठ इसी गुफा में स्थित है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां देवी सती का कंठ गिरा था.
- मान्यता है कि शिव-पार्वती की अमरकथा सुनकर अमर हुआ कबूतर का जोड़ा अब भी यहां कई बार देखने को मिलता है.
किसने की गुफा की खोज
- मान्यता के अनुसार अमरनाथ गुफा की खोज सबसे पहले ऋषि भृगु ने की थी. दरअसल जब एक बार कश्मीर घाटी पानी में डूब गई थी तो ऋषि कश्यप ने नदियों और नालों के जरिए पानी बाहर निकाला था. तब ऋषि भृगु तपस्या के लिए एकांतवास की खोज कर रहे थे तभी उन्हें बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा के दर्शन हुए.
- वहीं एक मत ये भी है कि 1850 में बूटा मलिक नाम के एक मुस्लिम गडरिए ने अमरनाथ गुफा की खोज की थी.
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