Aaj Ka Panchang, Anant Chaturdashi 2020: हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इस तिथि को भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. अनंत चतुर्दशी का पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि इस पर्व को व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. व्रत रखने और पूजा करने वाले के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और विष्णु लोक की प्राप्ति होती है.


अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त एवं महत्त्व


पंचांग के अनुसार 1 सितंबर की सुबह 05 बजकर 59 मिनट से 09 बजकर 41 मिनट तक अनंत चतुर्दशी की पूजा का मुहूर्त बना हुआ है. व्रत करने करने वाले को इस शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए. इस साल अनंत चतुर्दशी के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं. जिनमें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने और पूजा करने का कई गुना लाभ प्राप्त होगा.




इस दिन सबसे पहला शुभ संयोग सुबह 9 बजकर 10 मिनट से दोपहर 1 बजकर 56 मिनट तक रहेगा, जिसमें आप अनंत चतुर्दशी की पूजा कर सकते हैं. इसके बाद अनंत चतुर्दशी की पूजा दिन में दोपहर 3 बजकर 32 मिनट से शाम 5 बजकर 07 मिनट पर भी कर सकते हैं.


अनंत चतुर्दशी पर्व को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि 14 वर्ष तक लगातार अनंत चतुर्थी का व्रत रखने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है. घर परिवार में शुख-शांति मिलती है. यह व्रत अनंत फल देने वाला माना गया है. भगवान विष्णु का दूसरा नाम अनंत देव भी है. यह व्रत ग्रहों की अशुभता को दूर करता है. अनंत चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्रीगणेश का विसर्जन भी किया जाता है.


पूजा विधि


चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़ा पहन लें. उसके बाद पूजास्थल को साफ़ करलें. पूजा चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. वहीँ पर 14 गांठों वाली अनंता रख दें. उसके बाद शुद्ध होकर हाथ में जल, फूल, अक्षत लेकर व्रत करने का संकल्प लें. पूजा वेदी पर पीले रंग के फूल के साथ आम पत्र, नैवेद्य, गंध, पुष्प, धूप, दीप चढ़ाएं. उसके बाद अनंता को बांह में बाँध लें. व्रतकथा सुनें. उसके बाद भगवान विष्णु को पंचामृत, पंजीरी, केला और मोदक प्रसाद में चढ़ाएं. व्रत कथा सुनने का बाद कपूर घी की बत्ती से विष्णु की आरती करें. उसके बाद प्रसाद वितरण करें.


अगले दिन शुभ मुहूर्त में अनंता को हाथ से निकाल कर आम के पेड़ में बाँध दें.  शाम को ब्राह्मण को भोजन काराएं. व्रत के दिन व्रत रखने वाले को बिना नमक वाला भोज्य पदार्थ खाना चाहिए.