Anant Chaturdashi 2021 Aarti: अनंत चतुर्दशी के दिन श्री हरि की आरती करने से होगा लाभ, इन बातों का रखें ध्यान
Anant Chaturdashi 2021: इस दिन भगवान को प्रसन्न करने के लिए विधिवत्त तरीके से पूजा-अर्चना और श्री हरि की उपासना की जाती है. इससे भगवना प्रसन्न होकर भक्तों के सारे दुख दूर कर देते हैं.
Anant Chaturdashi Aarti: इस साल अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) का पर्व 19 सितंबर को मनाया जा रहा है. ये पर्व हर साल भाद्रपद मास (Bhadrapad Month) के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इसी दिन गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) भी किया जाता है. अनंत चतुर्दशी का दिन भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान को प्रसन्न करने के लिए विधिवत्त तरीके से पूजा-अर्चना और श्री हरि की उपासना की जाती है. इससे भगवना प्रसन्न होकर भक्तों के सारे दुख दूर कर देते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन भगवान की आरती का भी विशेष महत्व है. कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और आरती करने से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य बना रहता है.
अनंत चतुर्दशी आरती से पहले बोलें ये मंत्र (Anant Chaturdashi Mantra)
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ।
अंनत चतुर्दशी आरती (Anant Chaturadashi Aarti, Vishnu Ji Ki Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
आरती करते समय रखें इनका ध्यान
आरती शुरू करने से पहले 3 बार शंख बजाया जाता है. शंख बजाते समय ध्यान रखें कि आपका मुंह ऊपर की तरफ हो और पहले धीरे-धीरे और फिर तेज से बजाएं. आरती के समय ताली, घंटी, मंझीरे आदि बजाएं. आरती गाते समय ध्यान रखें कि शब्दों का उच्चारण शुद्ध हो. आरती के लिए सदैव शुद्ध कपास यानी रूई से बनी घी की बत्ती होनी चाहिए. भगवान की आरती के लिए तेल की बत्ती के उपयोग से बचना चाहिए. इसके साथ ही आप कपूर आरती भी कर सकते हैं.