Anant Chaturdashi 2021: हिंदी पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल आज 19 सितंबर को चतुर्दशी व्रत रखा गया है. इस दिन लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं. तथा अपने हाथ में अनंता बांधते हैं.  इसके साथ ही पूजा के दौरान भक्त गण व्रत कथा का श्रवण करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब तक इस व्रत कथा श्रवण न कर लिया जाये तब तक यह व्रत अधूरा माना जाता है और इस व्रत का पुण्य लाभ भी नहीं मिलता है. आइये जानें व्रत कथा.


अनंत चतुर्दशी व्रत कथा :


पौराणिक कथा के अनुसार सुमंत नामक एक ब्राह्मण था. इनका विवाह महर्षि भृगु की पुत्री दीक्षा से हुआ. दीक्षा से एक पुत्री सुशीला का जन्म हुआ. परंतु दीक्षा का असमय निधन हो गया. तब सुमंत ने कर्कशा नामक लड़की से विवाह किया. पुत्री सुशीला का विवाह कौण्डिन्य मुनि से हुआ. किंतु कर्कशा के क्रोध के कारण सुशीला अत्यंत गरीब और साधनहीन हो गई. सुशीला अपने पति के साथ जाते समय एक नदी पर कुछ महिलाओं के द्वारा व्रत करते देखा. वहां पर महिलाएं अनंत चतुर्थी का व्रत कर रही थी और वे महिलाएं अनंत सूत्र की महिमा का गुणगान कर रही थी. कह रही थी कि अनंता बांधने के समय इस मंत्र को पढ़ना चाहिए.



अनंत सूत्र बांधने का मंत्र


‘अनंत संसार महासमुद्रे मग्नं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व  ह्यनंतसूत्राय नमो नमस्ते॥’


मंत्रार्थ


‘हे वासुदेव! अनंत संसाररूपी महासमुद्र में मैं डूब रही/रहा हूं, आप मेरा उद्धार करें, साथ ही अपने अनंतस्वरूप में मुझे भी आप विनियुक्त कर लें. हे अनंतस्वरूप! आपको मेरा बार-बार प्रणाम है.’


महिलाओं द्वारा व्रत करने और अनंत सूत्र बांधने को देखकर सुशीला ने भी ऐसा ही किया. उसके बाद उन्हें अनंत सुख मिला.  किंतु कौण्डिन्य मुनि ने एक दिन गुस्से में आकर अनंत सूत्र तोड़ दिया. इसके बाद वे फिर से उन्हीं कष्टों से घिर गए. तब सुशीला ने अनुनय और विनय के साथ  क्षमा प्रार्थना की. तब अनंत देव की उन पर फिर से कृपा हुई.