Anant Chaturdashi Puja Vidhi: भाद्रपद मास (Bhadrapad Month) के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व (Anant Cahturdashi Parv) मनाया जाता है. हिंदू धर्म में अनंत चौदस (Anant Chaudas) का विशेष महत्व है. चतुर्दशी का दिन भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को समर्पित होता है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की उपासना की जाती है. इसी दिन गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) भी किया जाता है. 10 दिवसीय गणेश महोत्सव (Ganesh Mahotasav) का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है. धार्मिक दृष्टि से अनंत चतुर्दशी का दिन बहुत खास होता है. इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से भगवान विष्णु को जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है. 19 सिंतबर को देशभर में गणेश विसर्जन के साथ अनंत चौदस का पर्व भी मनाया जाएगा.
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और 14 गांठों वाला रक्षा सूत्र (14 Knot Raksha Sutra) बांह में बांधा जाता है. कहते हैं कि 14 गांठे 14 लोकों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस दिन श्री हरि का व्रत और विधि विधान से की गई पूजा से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं, मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से अक्षय पुण्य यानी कभी न खत्म होने वाले पुण्य की प्राप्ति होती है. जानिए इस दिन श्री हरि की पूजा का सही तरीका क्या है.
अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त (Anant Chaturdashi Shubh Muhurat)
इस दिन चतुर्दशी तिथि 19 सितंबर 2021 की सुबह 6:07 मिनट से शुरू होकर 20 सितंबर 2021 सोमवार को सुबह 5:30 मिनट तक रहेगी. पूजा के लिए उत्तम समय सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:44 मिनट तक है. बता दें कि 19 सितंबर को राहुकाल शाम 04:52 से 06:22 तक रहेगा. राहुकाल का समय छोड़कर 19 सितंबर को पूरा दिन किसी भी समय पूजा कर सकते हैं.
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि (Anant Chaturdashi Puja Vidhi)
चतुर्दशी के दिन अगर आप व्रत रखने की सोच रहे हैं तो बता दें कि अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा स्थल पर एक कलश की स्थापना करें. इस कलश पर एक धातु का पात्र रखें और उसके ऊपर कुश से भगवान अनंत की स्थापना करें. बता दें कि भगवान विष्णु के शेषनाग को अनंत कहा जाता है इसलिए इस चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है. अनंत चतुर्दशी के दिन उनकी पूजा का विधान है.
पूजा के समय एक सूत या रेशम के धागे को हल्दी या केसर से रंगकर उसमें 14 गांठें लगा लें. इसके बाद इस रक्षा सूत्र को भगवान अनंत को अर्पित करें और पंचोपचार या षोढ़शोपचार विधि से पूजन करें. व्रत के दिन व्रतकथा और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें. इसे विशेष फलदायी माना जाता है. भगवान विष्णु के पूजन के बाद लंबी आयु और सभी कष्टों से मुक्ति के लिए अनंत सूत्र को हाथ में बांध लें. कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु का व्रत करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं.