Anant Chaturdashi 2023 Kab Hai: अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर 2023 को है. इस दिन गणपति जी का विर्सजन किया जाता है. कहते हैं कि जब पंडवों ने अपना सारा राजपाट खो दिया था तब श्रीकृष्ण ने उनको अनंत चतुर्दशी व्रत करने को कहा था.


इस व्रत के पुण्य प्रभाव से पांडवों को उनका राज्य वापस मिला था. इस दिन श्रीहरि की पूजा और कथा सुनने से हर समस्या का अंत हो जाता है. आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी की कथा.



अनंत चतुर्दशी 2023 मुहूर्त (Anant Chaturdashi 2023 Muhurat)


भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि शुरू - 27 सितंबर 2023, रात 10.18


भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि समाप्त - 28 सितंबर 2023, शाम 06.49



  • विष्णु पूजा का मुहूर्त - सुबह 06.12 - शाम 06.49

  • गणेश विसर्जन मुहूर्त - सुबह 10.42 - दोपहर 3.10

  • शाम 4.41 - रात 9.10

  • प्रात: 12.12 - दोपहर 1.42, 29 सितंबर


अनंत चतुर्दशी व्रत कथा (Anant Chaturdashi Katha)


पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में सुमंत नामक ब्राह्मण अपनी बेटी दीक्षा और सुशीला के साथ रहता था. सुशीला जब विवाह योग्य हुई तो उसकी मां का निधन हो गया. सुमंत ने बेटी सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि से कर दिया. कौंडिन्य ऋषि सुशीला को लेकर अपने आश्रम जा रहे थे, लेकिन रास्ते में रात हो गई तो एक जगह पर रुक गए.


ऋषि ने 14 गांठ वाला सूत्र तोड़कर किया अपराध


उस जगह कुछ स्त्रियां अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा कर रही थीं. सुशीला ने भी महिलाओं से उस व्रत की महीमा जानी और उसने भी 14 गांठों वाला अनंत धागा पहन लिया और कौंडिन्य ऋषि के पास आ गई लेकिन कौंडिन्य ऋषि ने उस धागे को तोड़कर आग में डाल दिया, इससे भगवान अनंत का अपमान हुआ.


ऐसे किया गलती का पश्चाताप


श्रीहरि के अनंत रूप के अपमान के बाद कौंडिन्य ऋषि की सारी संपत्ति नष्ट हो गई और वे दुखी रहने लगे. सुशीला ने इसके लिए अनंम धागे को जलाने को वजह माना. फिर कौंडिन्य ऋषि उस अनंत धागे की प्राप्ति के लिए वन में भटकने लगे. एक दिन वे भूख-प्यास से जमीन पर गिर पड़े, तब भगवान अनंत प्रकट हुए. उन्होंने कहा कि कौंडिन्य तुमने अपनी गलती का पश्चाताप कर लिया है.


भगवान अनंत की कृपा से लौटी खुशियां


अब घर जाकर अनंत चतुर्दशी का व्रत करो और 14 साल तक इस व्रत को करना. इसके प्रभाव से तुम्हारा जीवन सुखमय हो जाएगा और संपत्ति भी वापस आ जाएगी. कौंडिन्य ऋषि ने वैसा ही किया, जिसके बाद उनकी धन, संपत्ति वापस लौट आई और जीवन सुखमय हो गया.


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