Anant Chaturdashi 2023: अनंत चतुर्दशी कब ? नोट करें डेट, विष्णु पूजा और गणेश विसर्जन का मुहूर्त
Anant Chaturdashi 2023 Kab Hai: अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर 2023 को है. इसी दिन गणेश उत्सव का समापन होता है. जानते हैं अनंत चतुर्दशी पर विष्णु पूजा का मुहूर्त और गणेश विसर्जन का मुहूर्त.
Anant Chaturdashi 2023 Date: सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है. इस साल अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर 2023 (When is Anant Chaturdarshi 2023) को है. ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है.
इसी दिन गणेश उत्सव का समापन होता है. बप्पा को धूमधाम से विदाई दी जाती है और मूर्ति का नदी, तालाब में विर्सजन किया जाता है. आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी पर विष्णु पूजा का मुहूर्त और गणेश विसर्जन का मुहूर्त.
अनंत चतुर्दशी 2023 मुहूर्त (Anant Chaturdashi 2023 Muhurat)
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 27 सितंबर 2023 को रात 10 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 28 सितंबर 2023 को शाम 06 बजकर 49 मिनट पर इसका समापन होगा.
- विष्णु पूजा का मुहूर्त - सुबह 06.12 - शाम 06.49
अनंत चतुर्दशी 2023 गणेश विसर्जन का मुहूर्त (Anant Chaturdashi 2023 Ganesh Visarjan Time)
- सुबह 10.42 - दोपहर 3.10
- शाम 4.41 - रात 9.10
- प्रात: 12.12 - दोपहर 1.42, 29 सितंबर
अनंत चतुर्दशी क्यों है खास (Anant Chaturdashi Significance)
अनंत चतुर्दशी श्रीहरि विष्णु ने 14 लोकों की रक्षा करने के लिए चौदह रूप धारण किए थे, इसलिए ये पर्व बहुत खास माना जाता है. इस दिन श्रीहरि विष्णु के अनंत रूपों की विधि विधान से पूजा की जाती है. 14 गांठ वाला सूत्र कलाई पर बांधा जाता है. मान्यता है ऐसा करने से बुरी शक्ति करीब नहीं आती, व्यक्ति पर आने वाले संकट टल जाते हैं.
अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधते हैं 14 गांठ वाला रक्षा सूत्र (Anant Chaturdashi 14 Knot Sutra)
धार्मिक मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा कर रक्षा सूत्र बांधने से व्यक्ति के सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं. ये 14 गांठ भगवान विष्णु के 14 रूपों का प्रतीक मानी जाती है. कहते हैं कलाई पर इसे बांधने से सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है. मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है.
अनंत चतुर्दशी पर रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र (Anant Chaturdashi Mantra)
अनंन्तसागर महासमुद्रे मग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजितात्माह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते॥
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