Apara Ekadashi 2024: ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है. इस साल अपरा एकादशी 02 जून को है, इसे अचला एकादशी (Achla ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है. अपरा एकादशी व्रत धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण व्रत है. ये व्रत भगवान विष्णु (Vishnu ji) को समर्पित माना जाता है. इस दिन व्रत रखा जाता है और विधि-विधान से श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.


अपरा एकादशी व्रत 2 या 3 जून कब रखें ? (Apara Ekadashi Vrat 2 or 3 June 2024 ?)


अपरा एकादशी तिथि का आरंभ 02 जून को सुबह 5:05 बजे होगा और इस तिथि का समापन 03 जून को सुबह 2:41 बजे होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 2 जून को ही अपरा एकादशी व्रत रखना उचित होगा. इस व्रत को करने वाले लोगों की सभी मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होती हैं. साथ ही सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है.



  • पूजा मुहूर्त - सुबह 07.07 - दोपहर 12.19

  • अपरा एकादशी व्रत के पारण (Apara ekadashi vrat parana time) का समय 03 जून को सुबह 8:06 बजे से सुबह 8:24 बजे तक किया जा सकता है.


क्यों कहा जाता है अपरा एकादशी ? (Why we Observed Apara ekadashi vrat)


भगवान विष्णु की विशेष आराधना के लिए समर्पित अपरा एकादशी का बहुत अधिक धार्मिक महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं. माना जाता है कि जो भी यह व्रत रखता है उसको जीवन में अपार तरक्की मिलती है साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.


हिंदी में 'अपार' शब्द का अर्थ 'असीमित' है, क्योंकि इस व्रत को करने से व्यक्ति को असीमित धन की भी प्राप्ति होती है, इस कारण से ही इस एकादशी को 'अपरा एकादशी' कहा जाता है. यह अपने उपासक को असीमित लाभ देती है.


ब्रह्म पुराण में अपरा एकादशी (Apara ekadashi in Purana)


अपरा एकादशी का महत्व 'ब्रह्म पुराण' में बताया गया है. अपरा एकादशी पूरे देश में पूरी प्रतिबद्धता के साथ मनाई जाती है. इसे भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. पंजाब, जम्मू और कश्मीर और हरियाणा राज्य में, अपरा एकादशी को 'भद्रकाली एकादशी' के रूप में मनाया जाता है और इस दिन देवी भद्रा काली की पूजा करना शुभ माना जाता है. उड़ीसा में इसे 'जलक्रीड़ा एकादशी' के रूप में जाना जाता है और भगवान जगन्नाथ के सम्मान में मनाया जाता है.


न करें ये गलतियां (Apara ekadashi rules)



  • इस दिन तामसिक आहार और बुरे विचार से दूर रहें.

  • बिना भगवान कृष्ण की उपासना के दिन की शुरुआत न करें.

  • मन को ज्यादा से ज्यादा ईश्वर भक्ति में लगाए रखें.

  • एकादशी के दिन चावल और जड़ों में उगने वाली सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए.

  • एकादशी के दिन बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए. इस दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए.


अपरा एकादशी पर क्या करें (Apara ekadashi Upay)


धार्मिक मान्यता के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत रखने से सभी पाप धुल जाते हैं, साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. भगवान विष्णु की आराधने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. यदि आप आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं तो एकादशी के दिन विष्णु जी के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें. ऐसा करने से आप आर्थिक तौर पर संपन्न होते हैं.


अपरा एकादशी की कथा (Apara ekadashi katha)


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर द्वारा पूछे जाने पर अपरा एकादशी के महत्व के बारे में बताया और कहा कि अपरा एकादशी व्रत को करने से प्रेत योनि, ब्रह्म हत्या आदि से मुक्ति मिलती है. पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था. वहीं उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी था, जो अपने बड़े भाई महीध्वज से घृणा और द्वेष करता था. राज्य पर अपना आधिपत्य जमाने के लिए एक रात उसने बड़े भाई की हत्या कर दी और उसकी देह को जंगल में पीपल के नीचे गाड़ दिया.


पीपल में प्रेतात्मा


राजा महीध्वज, अकाल मृत्यु के कारण प्रेत योनि में प्रेतात्मा बनकर उस पीपल के पेड़ पर रहने लगे और फिर बड़ा ही उत्पात मचाने लगे. एक बार धौम्य ऋषि ने प्रेत को देख लिया और माया से उसके बारे में सबकुछ पता कर लिया. ॠषि ने उस प्रेत को पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया. उनकी मुक्ति के लिए ऋषि ने अपरा एकादशी व्रत रखा और श्रीहरि विष्णु से राजा के लिए कामना की. इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई. राजा बहुत खुश हुआ और वह ॠषि को धन्यवाद देता हुआ स्वर्ग लोग में चला गया.


पूजा विधि (Apara ekadashi puja vidhi)



  • एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

  • इस दिन यदि आप व्रत रखते हैं तो प्रातः उठकर, स्नान से मुक्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

  • फिर श्रीहरि विष्णु को केला, आम, पीले फूल, पीला चंदन, पीले वस्त्र चढ़ाएं और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें.

  • श्रीहरि को केसर का तिलक लगाएं और फिर स्वंय भी टीका करें. फिर विष्णु सहस्रनाम का पाठ जरूर करें और एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुने.

  • भगवान विष्णु को पंचामृत और आटे की पंजीरी का भोग जरूर लगाएं. साथ ही विष्णु जी को लगने वाले भोग में तुलसी दल अवश्य अर्पित करें.


Apara Ekadashi 2024: अपरा एकादशी का क्या है धार्मिक महत्व, इस व्रत को कैसे रखा जाता है, जानें


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