अपरा एकादशी व्रत रखने से मन को शांति और आत्मविश्वास उत्पन्न करने वाला व्रत माना गया है. जो भी इस व्रत को रखते हैं उन्हे सकारात्मक ऊर्जा का अहसास होता है. यह व्रत व्यक्ति के मन मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करता है.


इस वर्ष अपरा एकादशी 18 मई को पड़ रही है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. इस व्रत नियम पूर्वक व्रत और पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं.


अपरा एकादशी व्रत कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार महीध्वज नामक के विख्यात राजा थे जो अपने श्रेष्ठ गुणों के लिए भी जाने जाते थे. लेकिन राजा का छोटा भाई वज्रध्वज बड़े भाई से भेर रखता था. छोटे भाई ने साजिश रचकर एक दिन मौका पाकर राजा की हत्या कर दी और राजा के शव को एक पीपल के पेड़ के नीचे दबा दिया. राजा की अकाल मौत हो जाने के कारण उनकी आत्म भटकने लगी और पीपल के पेड़ पर अपना डेरा जमा लिया.


पेड़ के समीप से होकर गुजरने वालों को राजा की आत्म परेशान करनी लगी. लोगों में इस पीपल के पेड़ को लेकर भय व्याप्त हो गया. एक दिन एक तपस्वी ऋषि मुनि यहां से गुजरे. राजा की आत्मा ने उन्हें भी डराने का प्रयास किया लेकिन ऋषि मुनि तपस्वी थे उन्होंने आत्मा को वश में कर लिया और उससे प्रेत बनने का कारण पूछा.


ऋषि मुनि को राजा ने पूरी बात बताई. राजा की बात सुनकर ऋषि मुनि ने उन्हें परलोक का ज्ञान कराया और उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने का वचन दिया. इसके लिए ऋषि ने अपरा एकादशी का व्रत रखा और इस दिन विधि पूर्वक पूजा अर्चना की. इसके बाद द्वादशी के दिन व्रत को पूरा करने के बाद पुण्य राजा की आत्मा को दे दिया. जिसके प्रताप से राजा प्रेत योनि से मुक्त हो गए. राजा का स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ.


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