Mahabharat : राजा भगदत्त प्राग्ज्योतिषपुर के राजा नरकासुर के पुत्र थे. महाभारत कथा के अनुसार भगदत्त एक मात्र ऐसे योद्धा थे, जो युधिष्ठिर के राजसूय यक्ष के दौरान आठ दिन तक अकेले अर्जुन से मोर्चा लेते रहे. अर्जुन ने अनेक प्रयास किए, लेकिन प्राग्ज्योतिष जीत नहीं सके. चूंकि भगदत्त और अर्जुन के पिता इंद्र घनिष्ट मित्र थे, इसलिए भगदत्त ने युधिष्ठिर को चक्रवर्ती मानकर यज्ञ के लिए शुभकामनाएं भी दीं. इसके अलावा भगदत्त का एक युद्ध कर्ण से भी हुआ, जिसमें कर्ण जीते थे, जिसके चलते भगदत्त को महाभारत युद्ध कौरवों की ओर से लड़ना पड़ा.


महायुद्ध के समय भगदत्त की आयु बहुत अधिक थी, कुछ किवदंतियों के मुताबिक भगदत्त युद्धक्षेत्र में मौजूद सबसे बुजुर्ग योद्धा थे. मगर इन्होंने भीम, अभिमन्यु और सात्यिकी जैसे योद्धाओं को हराया, द्रोण पर्व के 24 वें अध्याय के मुताबिक अभिमन्यु और अनेक योद्धाओं ने एक साथ भगदत्त पर आक्रमण किया तो भी भगदत्त ने सभी को एक साथ घुटने पर ला दिया.


द्रोण पर्व के 27वें अध्याय के मुताबिक कुरुक्षेत्र युद्ध के 12वें दिन भगदत्त और अर्जुन आमने-सामने हुए तो भयंकर संग्राम हुआ. भगदत्त हाथी से अर्जुन को लगभग कुचलने ही वाले थे कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बचा लिया. दोबारा भगदत्त के सामने आने पर अर्जुन ने भगदत्त के अस्त्र विफल कर दिए. भगदत्त  घायल हो गए और गुस्से में आकर वैष्णव अस्त्र प्रयोग कर दिया, जिसकी काट अर्जुन के पास नहीं थी. मगर इसी बीच वैष्णवास्त्र के सामने कृष्ण आ गए, जो उनसे टकराकर वैजन्ती माला में बदल गया. 


इस पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि अब वो भगदत्त का अंत करे, अर्जुन ने भगदत्त के पराक्रमी हाथी सुप्रतीक पर नाराच प्रहार किया, यह इतना तीव्र था कि बाण हाथी के कुम्भस्थल में पंख समेत प्रवेश कर गया और उसने तुरंत धरती पर गिरकर प्राण त्याग दिए. 


भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि भगदत्त की आयु बहुत अधिक है और झुर्रियों के कारण उसकी पलकें झुकी रहती हैं और नेत्र बंद रहते हैं. भगदत्त पराक्रमी और शूरवीर है, इसलिए उसने आंखों को खुला रखने के लिए मस्तक पर पट्टी बांध रखी है. तब अर्जुन ने सबसे पहले भगदत्त के माथे पर बंधी पट्टी पर तीर मारा, जिसके परिणामस्वरूप भगदत्त के मस्तक की पट्टी क्षीण हो गई. उसके नेत्र बंद हो गए और उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और मौका पाकर अर्जुन ने भगदत्त का वध कर दिया.


इन्हें पढ़ें
Nag Panchami 2021: भगवान शिव के गले में क्यों लपेटे हैं नागराज वासुकी?


Ramayan: सीता ने दिया उपहार तो हनुमानजी ने कर दिए टुकड़े-टुकड़े, जानिए वजह