चाणक्य नीति: रणनीति से पहले की तैयारी है जरूरी, शोध से बनती है बात
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य रणनीति बनाने में सिद्धहस्त थे. उनकी योजना सफल होकर रहती थी. इसके लिए वे आवश्यक जानकारियां जुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे.
तक्षशिला के राजनीति के आचार्य विष्णुगुप्त कौटिल्य चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार थे. उनकी अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है. हर एक को प्रेरणा देने वाली है. आचार्य चाणक्य ने जो भी योजनाएं अमल में लाई उन पर पूरा शोधकार्य किया था. वास्तविक स्थिति को जान और समझकर रणनीति तैयार की. जहां छुपकर रहना ठीक लगा वहां स्वयं को साधारण दिखाकर आगे बढ़े. जहां महत्वपूर्ण व्यक्ति के समक्ष क्षमता प्रदर्शन की जरूरत लगी, वहां स्वयं को बड़ा बताकर काम निकाला.
मगध के सम्राट धननंद के राज जानने के लिए कई दिन रात वे यूं ही मगध गलियों में भटके. वेश बदलकर रात्रि भ्रमण किया. राज्य कर्मचारियों की खामियों और खूबियों को जाना ताकि उन्हें प्रभावित करने में आसानी हो. वर्तमान में भी यह नीति अत्यंत कारगर है. वैश्चिक कंपनियां अपने रिसर्च एंड डवलपमेंट डिपार्टमेंट पर करोड़ों खर्च करती हैं. इससे जो परिणाम मिलते हैं उससे दुनिया में अपनी धाक जमाती हैं.
बड़े प्रयासों में अक्सर यह बात ध्यान रखी जाती है कि छोटी गलती भी न हो क्योंकि वह बहुत बड़ा नुकसान कर सकती है. छोटी सी डिजाइनिंग फॉल्ट प्रॉडक्ट को असरहीन कर सकता है. विपक्षी की रणनीति जाने बिना किया गया प्रयास स्वयं के लिए उलझन बन सकता है.
आचार्य चाणक्य की रणनीति पूर्व तैयारी की नीति हर वर्ग के व्यक्ति, समाज और संस्था पर लागू होती है. विद्यार्थियों और युवाओं के लिए आचार्य की यह नीति अत्यंत महत्वपूर्ण है. भविष्य की रूपरेखा, शि़क्षा और कारोबार पूर्व इस पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है.