आचार्य चाणक्य ने बिना विशाल सैन्यशक्ति के सफलता पाई थी. छात्रों के दल को सेना में बदलकर युद्ध जीते थे. इसके पीछे उनकी सबसे बड़ी ताकत थी सूचनाओं का सर्वाेत्तम ढंग से इस्तेमाल करना.


वे सूचनाओं को इस प्रकार प्रसारित करते थे कि वे लोगों को जो समझाना चाहते थे लोग वही समझते थे. उन्होंने अकेले मगध में सहज नागरिक की भांति रहकर धननंद के साम्राज्य के संबंध में महत्वपूर्ण सूचनाएं इकट्ठा कीं. इनके बल पर ग्रह युद्ध कराया. ग्रहयुद्ध से वे कम सैन्य बल के बावजूद धननंद को परास्त कर पाए.


दूसरी ओर धननंद का पूरा गुप्तचर विभाग चाणक्य का बैकग्राउंड जानने के कारण उनके पीछे लगा रहा लेकिन कभी कोई महत्वपूर्ण सूचना चाणक्य की इच्छा के विरुद्ध जान न सका.


चाणक्य नीति सिखाती है कि सूचनाओं के आदान प्रदान में सदैव सतर्कता बरतें. किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए हमें उससे जुड़ीं सूचनाओं की ही जरूरत होती है. आज का प्रबंधन भी सूचना को शक्ति मानता है. विश्व में कई विभाग विश्वभर की सूचनाओं को इकट्ठा करने का कार्य कर रहे हैं. उन्हें अपने हिसाब से प्रसारित कर या मूल्य हासिल कर लाभ ले रहे हैं.


सूचना न मिलना उस बंद मुठ्ठी की तरह है जिसके खुलने पर क्या सच बाहर आएगा, किसी को पता नहीं होता. सूचना लीक हो जाने पर उस व्यक्ति महत्व स्वतः कम हो जाता है. ठीक से समझा जाए तो शिक्षा, ज्ञान और अनुभव का मूल सूचनाएं ही हैं। सूचनाओं के प्रति गंभीरता हमें अवश्य बरतनी चाहिए.