जीवन में कई बार ऐसे मोड़ भी आते हैं जब व्यक्ति को समझ में नहीं आता है कि वह क्या करे. तब हमें महापुरुषों की शिक्षाओं और उनके दर्शन को समझना चाहिए. ऐसे ही एक महापुरुष विदुर थे. उनकी शिक्षाओं को हम विदुर नीति के नाम से जानते हैं. विदुर महाभारत के सबसे विद्वान पात्रों में से एक थे. वे राजा धृतराष्ट्र के सलाहकार थे. विदुर राजा को सदैव सही सलाह दिया करते थे. क्योंकि विदुर कभी असत्य का साथ नहीं देते थे. वे सदा ही सत्य बोलते थे. धृतराष्ट्र और विदुर के बीच जो भी संवाद हुआ, उसे विदुर नीति कहा गया. विदुर नीति जीवन जीने की कला सिखाती है. आइए जानते हैं क्या है आज की विदुर नीति-


ज्ञान व्यक्ति के कामों में झलकना चाहिए: ज्ञान की सार्थकता तभी है जब वह व्यक्ति के कामों में भी नज़र आए. अगर ऐसा नहीं है तो इसका अर्थ ये है कि व्यक्ति ने ज्ञान को अपने जीवन में पूरी तरह से आत्मसात यानि उतारा नहीं है. जो विद्वान होते हैं उनके आचरण और व्यवहार में भी विद्वता नजर आती है. ज्ञान का अर्थ सिर्फ शास्त्र, ग्रंथ और ढेरों पुस्तकें पढ़ लेने से नहीं है. जब तक जीवन में उसे नहीं उतारेंगे और वह ज्ञान व्यक्तित्व में नहीं दिखाई देगा, तब तक उस ज्ञान का कोई महत्व नहीं है. इसलिए ज्ञान को जीवन में उतारने की कोशिश भी करना चाहिए. वही व्यक्ति सफलता के शिखर को छूता है जो ज्ञान को जीवन में उतार लेता है. ऐसे व्यक्ति समाज में सम्मान पाते हैं. ऐसे लोग राजा के प्रिय होते हैं.


निंदा रस से व्यक्ति को बचना चाहिए: व्यक्ति को बुराई से दूर रहना चाहिए. बुराई करते करते एक समय ऐसा भी आता है जब व्यक्ति के अंदर ही वे बुराईयां आ जाती है. निंदा रस भी अन्य रस की तरह है. लेकिन ये बहुत ही घातक होता है. व्यक्ति को बुराई में धीरे धीर आनंद आने लगता है. उसे बुराई करने की आदत पड़ जाती है. व्यक्ति को बुराई से बचना चाहिए. बुराई करने वाले व्यक्ति का आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है. बुराई की लत उसे मानसिक तनाव और कलह के रास्ते पर ले जाती है. बुराई से बचने के लिए सत्य के मार्ग पर चलें. सत्य का साथ दें. अगर ऐसा करते हैं तो एक दिन बुराई हार जाती है. बुराई करने वाले समाज में अपयश पाते हैं.


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