Ashadh Amavasya 2020: हर माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष में अमावस्या और पूर्णिमा होती है. शुक्ल पक्ष में चंद्रमा का आकार बढ़ता हुआ दिखाई देता है जबकि कृष्ण पक्ष में चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे घटता हुआ दिखाई देता है. पूर्णिमा को चंद्रमा पूर्ण आकार और चमकदार दिखाई देता है. वहीं अमावस्या पर चांद आकाश में दिखाई नहीं देता है.


21 जून की अमावस्या को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ नहीं माना जा रहा है. क्योंकि यह अमावस्या रविवार के दिन पड़ रही है. मान्यता है कि जब अमावस्या रविवार के दिन पड़ती है तो इसके अशुभ परिणाम सामने आते है. इसका असर सभी पर पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आ जाते है तो उस तिथि को अमावस्या पड़ती है.


पितृ दोष से मिलती है मुक्ति
अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध कर्म , दान पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान बताया गया है. जिन लोगों की जन्मकुंडली में राहु-केतु अशुभ फल दें रहे हैं उन्हें आज के दिन पूजा करनी चाहिए. राहु-केतु के कारण बनने वाले पितृदोष के कारण व्यक्ति को मानसिक तनाव और हर कार्य में बाधा आती है. इसलिए इस दिन की जाने वाली पूजा से पितृ को प्रसन्न कर उनका आर्शीवाद प्राप्त कर सकते हैं.


सूर्य ग्रहण का ध्यान रखें
इस दिन सूर्य ग्रहण है. जिसका सूतक काल 20 जून से ही आरंभ हो गया है. सूतक काल में किसी प्रकार की पूजा और दान आदि जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. इसलिए दान और पूजा संबंधी कार्य सूर्य ग्रहण के बाद ही करें तो उत्तम फल प्राप्त होगा.


सूर्य ग्रहण लव राशिफल: वृष, कर्क, धनु और मकर राशि न करें ये काम, बढ़ सकती हैं मुसीबत