Amavasya of Ashadh Month: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है. इस दिन पितरों की शांति के लिए किया गया स्नान-दान और तर्पण उत्तम माना जाता है. इस लिए अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने और तर्पण के साथ दान पुण्य करने तथा व्रत रखने की परंपरा है. मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ बहुत खुश होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.


आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि 9 जुलाई दिन शुक्रवार को पड़ रही है. आइये जानें आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि, मुहुर्त और व्रत के विधान के बारे में:-


आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त


25 जून 2021 को शुरू हुआ आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 9 जुलाई को सुबह 5 बजकर 16 मिनट पर लगेगी. अमावस्या तिथि अगले दिन 10 जुलाई दिन शनिवार  को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए आषाढ़ अमावस्या का व्रत 09 जुलाई ऋण शुक्रवार को रखा जाएगा. वर का पारण 10 जुलाई को किया जाएगा.



हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि पर पितरों की आत्मा शांति के लिए व्रत रखकर तर्पण का विधान है.  आषाढ़ मास के अंत में वर्ष ऋतु का प्रारंभ होता है. इसी मास से चातुर्मास की भी शुरुआत होती है. इस लिए आषाढ़ मास की अमावस्या पर पितरों के तर्पण का विशेष विधान है. इस दिन अर्थात आषाढ़ की अमावस्या को प्रातः काल पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें और पितरों को  तर्पण अर्पित करें. उसके बाद पूरे दिन फलाहार व्रत रखकर जरूरत मंद लोगों को यथा शक्ति दान दें. मान्यता है कि इस दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.  दीपक जलाने के बाद पितरों का स्मरण करें.