Ashadh Amavasya 2022: आषाढ़ अमावस्या के दिन ऐसे करें यज्ञ, मिलेगा अंनत फल और धन
Ashadh Amavasya 2022: हिंदू धर्म में आषाढ़ के महीने का बहुत अधिक योगदान है, क्योंकि इसी के आधार पर हमारे कृषि की उन्नति निर्भर करती है.
Ashadh Amavasya 2022: भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर बहुसंख्यक आबादी कृषि कार्य में ही लिप्त रहती है. इनका जीवन यापन कृषि से ही होता है और आषाढ़ के महीने में अगर अच्छी बारिश न हुई, तो खेती बहुत अधिक प्रभावित होती है. इसलिए आषाढ़ महीने के शुरुआत में ही किसान लोग आषाढ़ अमावस्या के दिन विधि विधान से पूजा करते हैं. किसानों से संबंधित होने के कारण इस अमावस्या को हलधारिणी अमावस्या भी कहा जाता है. इसमें किसान हल के साथ साथ कृषि में प्रयुक्त होने वाले अपने विभिन्न उपकरणों की पूजा करते हैं और वर्षा के देवता वरुण से अपनी अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं.
आषाढ़ अमावस्या की तिथि और मुहूर्त
- आषाढ़ मास की अमावस्या की तिथि का प्रारंभ 28 जून दिन मंगलवार को सुबह 5:53 से प्रारंभ होगा.
- आषाढ़ मास अमावस्या तिथि का समापन 29 जून दिन बुधवार को सुबह 8:23 तक होगा.
आषाढ़ अमावस्या की पूजा का महत्व
आषाढ़ मास की अमावस्या के दिन लोग नदी, तालाब, कुएं या नल पर स्नान करके शुद्ध मन से अपने हल या कृषि में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों की विधि विधान से पूजा करके अच्छी फसल और अच्छे व्यापार के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं. वरुण देव को प्रसन्न रखने के लिए ये यज्ञ किया जाता है. सूर्य को प्रातः काल अर्घ्य देने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं. अपने पितरों को भी प्रसन्न करने के लिए पवित्र जल से स्नान करके उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. ऐसा करने से खेतों में अच्छी उपज होती है और किसानों को वरुण देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सिंचाई के सीमित साधन होने की वजह से आषाढ़ मास की अमावस्या के दिन यज्ञ करने पर फसल को नुकसान नहीं पहुंचता और जल की कमी नहीं होती है.
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