Ashadh Krishna Paksh: आषाढ़ मास का कृष्ण पक्ष शुरू, जानें इसका महत्व और पूजा विधि
Ashadh Mass Puja: आषाढ़ मास का प्ररम्भ हो चुका है. इस मास में स्नान और दान जैसे धार्मिक और पुण्यदायी कार्यों को करने की परंपरा है. आइये जानें इस मास की पूजन विधि व महत्व.
Ashadh Mass Puja Vidhi: हिंदू कैलेंडर के मुताबिक़, हिंदी वर्ष का चौथा महीना आषाढ़ मास का प्रारंभ हो चुका है. यह मास धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्व रखता है. इस मास में ही चातुर्मास और देवशयानी एकादशी व्रत और पितरों के श्राद्ध और तर्पण देने के लिए आषाढ़ अमावस्या भी है. इन व्रतों एवं धार्मिक कृत्य को करने के शुभ अवसरों एवं मुहूर्त के होने से इस मास का महत्व और बढ़ जाता है.
हिंदू धर्म ग्रंथों में वर्णित कथाओं एवं मान्यताओं के मुताबिक, आषाढ़ मास में भगवान श्री हरि की पूजा करने और दान देने से बहुत पुण्य लाभ मिलता है. मान्यता है कि यह माह जीवन में सकारात्मकता लेकर आता है. इस माह में किया गया दान-पुण्य बहुत शुभदायक और फलदायक माना जाता है.
आषाढ़ मास का महत्व: आषाढ़ मास में वर्षा ऋतु का शुभारंभ हो जाता है. इस लिए यह माह किसानों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है. तंत-मंत्र को जागृति करने और शक्ति की उपासना करने लिए यह मास उत्तम होता है, क्योंकि तंत-मंत्र और शक्ति उपासना के लिए उत्तम समय गुप्त नवरात्रि आषाढ़ में होती है. इस महीने में योगिनी एकादशी व्रत और देवशयनी एकादशी व्रत रखा जाता है. देवशयानी एकादशी तक ही मंगल कार्य किये जाते हैं. इसके बाद सभी मंगल या शुभ कार्य बंद कर दिए जाते हैं. फिर केवल धार्मिक कार्य ही किये जाते हैं.
पूजा विधि
आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ भगवान सूर्य और मंगल की उपासना करना अत्यंत शुभ माना गया है. मान्यता है कि कुंडली में बैठा मंगल अशुभ प्रभाव के स्थान पर इस माह से शुभ मंगल देना शुरू कर देता है.