Ashadh Amavasya 2022 Vrat Niyam: हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि पितरों के तर्पण और श्राद्ध क्रम के लिए विशेष महत्त्व रखती है. इस दिन लोग पवित्र नदी या गंगा जी में स्नान करते हैं और पितरों को तर्पण एवं श्राद्ध करते हैं. मान्यता है कि तर्पण से पितर तृप्त होते हैं. पंचांग के अनुसार हिंदी कैलेंडर का चौथा माह आषाढ़ 15 जून से प्रारंभ हो गया है. यह पूरा माह धार्मिक कर्मकांड, पूजा-पाठ और यज्ञ एवं हवन की दृष्टि से विशेष महत्त्व रखता है.
ऐसे में इस मास की अमावस्या पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बेहद खास है. इस दिन पितरों की शांति के लिए किया गया स्नान-दान और तर्पण उत्तम माना जाता है. इस लिए अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने और तर्पण के साथ दान पुण्य करने तथा व्रत रखने की परंपरा है. मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ बहुत खुश होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. पितरों के आशीर्वाद से मान-सम्मान में वृद्धि होती है.
आषाढ़ अमावस्या 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 28 जून दिन मंगलवार को प्रात: 05 बजकर 52 मिनट पर हो रहा है. इस तिथि का समापन अगले दिन 29 जून दिन बुधवार को सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर होगा.
आषाढ़ आमवस्या 2022: व्रत नियम
- आषाढ़ आमवस्या को सूर्योदय से पूर्व स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित करें. इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करें. इससे मानसिक शांत प्राप्त होगी.
- आषाढ़ आमवस्या के दिन पेड़-पौधे को लगाने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. इससे ग्रह दोष भी दूर हो जाता है.
- अमावस्या तिथि को पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
- आषाढ़ आमवस्या को शिव मंदिर में पूजा करें. इससे कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है.
- आषाढ़ आमवस्या को दान देने से पितर प्रसन्न होते हैं. वंश को सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं.
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