Aashadhi Amawasya : पितरों के तर्पण के साथ खेत की पूजा देगी मनवांछित फल
हिन्दू कैलेंडर के चौथे माह की अमावस्या आषाढ़ या हलहरिणी अमावस्या कही जाती है. पितरों को तर्पण से प्रसन्न करने के साथ अच्छी फसल के लिए खेत पूजन भी शुभ अवसर है.
Aashadhi Amawasya : वर्षा ऋतु में आषाढ़ अमावस्या हर साल अच्छी फसल की उम्मीद बंधाती है, इस कारण यह हलहरिणी अमावस्या भी कही जाती है. इस अमावस्या पर तर्पण से पितृ प्रसन्न होते हैं और खेतिहरों के बीच हल-खेती उपकरणों के पूजन का विशेष महत्व है.
हिन्दू कैलेंडर में यह दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन व्रत भी मनोवांछित फलदायक होता है. आषाढ़ अंत से बरसात शुरू हो जाती है. इस माह में चतुर्मास की शुरुआत होती है, इसलिए आषाढ़ अमावस्या पर तर्पण-व्रत का विशेष विधान है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. आषाढ़ अमावस्या पर दान-पुण्य, स्नान और पितृ तर्पण से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. यूं तो अमावस्या तिथि हर महीने कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को होती है लेकिन हिन्दी पंचाग के चौथे माह यानी आषाढ़ में पडऩे वाली इस तिथि को विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और स्नान-दान के लिए उत्तम माना गया है. अमावस्या की शाम पीपल पेड़ के नीचे सरसों तेल का दीया जलाकर पितरों को स्मरण करना चाहिए.
चंद्रमा की कला है अमावस्या
धर्मग्रंथों के मुताबिक चंद्रमा की 16वीं कला को अमा कहा जाता है. चंद्र मंडर की अमा नाम की महाकला है, जिसमें चंद्रमा की 16 कलाओं की शक्ति शामिल है. शास्त्रों में अमा के अनेक नाम आए हैं, जैसे अमावस्या, सूर्य चंद्र संगम, पंचदशी, अमावसी या अमामासी. जिस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता यानी उसका क्षय और उदय नहीं होता है, वह अमावस्या कही जाती है.
आषाढ़ अमावस्या पर इन कार्यों से मिलेगा लाभ
- इस दिन भूखे प्राणियों को भोजन कराने का विशेष फल मिलता है.
- रुद्राभिषेक, पितृदोष शांति पूजन, शनि उपाय से कष्ट खत्म होते हैं.
- मछलियों को आटा गोलियां, चीटियों को पंजीरी खिलाना शुभ होगा.
- समृद्धि के लिए लाल धागे की बत्ती घी में जलाकर ईशान कोण पर रखें.
शुभ समय
आषाढ़ मास की अमास्या तिथि 9 जुलाई की सुबह 5 बजकर 16 मिनट से 10 जुलाई की सुबह 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. अमावस्या व्रत नियमानुसार 9 जुलाई को होगा, जिसका पारण 10 जुलाई को होगा.
पूजा विधि
इस दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें. पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं. इसके बाद तांबे के बर्तन में जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें. गरीब को दान-दक्षिणा दें. पितरों की आत्मा की शांति को उपवास भी करें. अमावस्या के लिए फलाहार व्रत भी रख सकते हैं.
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