Guru Pradosh Vrat 2023: अक्टूबर का दूसरा प्रदोष व्रत कब ? सुखी वैवाहिक जीवन के लिए खास है ये दिन, नोट करें डेट, मुहूर्त
Guru Pradosh Vrat 2023: गुरु प्रदोष व्रत से मिलता है वैवाहिक सुख और जीवन में आती है समृद्धि. अश्विन माह का दूसरा प्रदोष व्रत गुरुवार को है. जानें अक्टूबर के गुरु प्रदोष व्रत की डेट, मुहूर्त और महत्व.
October Guru Pradosh Vrat 2023: गुरु प्रदोष व्रत बहुत ही मंगलकारी और शुभफलदायी माना जाता है. इस प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव के साथ ही भगवान विष्णु की कृपा का भी लाभ मिलता है. अश्विन माह का शुक्ल पक्ष चल रहा है ऐसे में इस दौरान गुरु प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है.
माना जाता है कि गुरु प्रदोष का व्रत करने वाले को 100 गाय को दान करने के समान फल की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं अश्विन माह के गुरु प्रदोष व्रत की डेट, मुहूर्त और महत्व.
गुरु प्रदोष व्रत 2023 डेट (Ashwin Guru Pradosh Vrat in October 2023 Date)
इस साल अश्विन माह का दूसरा प्रदोष व्रत 26 अक्टूबर 2023 को है. प्रदोष काल के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का गुणगान करते हैं. यही वजह है कि प्रदोष व्रत में शाम के समय शिवलिंग का अभिषेक करने पर सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.
गुरु प्रदोष व्रत 2023 मुहूर्त (Ashwin Guru Pradosh Vrat 2023 Muhurat)
पंचांग के अनुसार अश्विन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 अक्टूबर 2023 को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 27 अक्टूबर 2023 को सुबह 06 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी.
- शिव पूजा समय - शाम 05.41 - रात 08.15
गुरु प्रदोष व्रत महत्व (Guru Pradosh Vrat Signifcance)
भगवान शिव शंकर की पूजा आराधना करने से जीवन में कभी भी सुख समृद्धि की कमी नहीं होती है. मान्यता यह भी है कि प्रदोष व्रत करने से साधक और व्रत करने वालों के जीवन का हर दोष मिट जाता है. गुरु प्रदोष व्रत उन लोगों को जरुर करना चाहिए जिनके विवाह में अड़चने आ रही हो, वैवाहिक जीवन से सुख-शांति छिन गई है. कहते हैं शिव और श्रीहरि विष्णु दांपत्य जीवन से जुड़ी हर समस्या का समाधान हैं. इनकी उपासना से भक्तों की समस्त परेशानियां दूर हो जाती है.
प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Guru Pradosh Vrat Puja Vidhi)
- सुबह स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लें. शाम को भगवान शिव का अभिषेक करें. पूजा में पंचामृत का उपयोग करना चाहिए. भगवान शिव की धूप व दीपक से आरती करें.
- महादेव को भोग लगाएं, आरती उतारें व नैवैद्य अर्पित करें.
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। अत: प्रदोष काल में पूजा करते समय इसका विशेष ख्याल रखें.
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