Ashwin Month Vrat: हिंदू पंचाग (Hindu Calander) के अनुसार भाद्रपद मास के बाद अश्विन मास (Ashwin Month) की शुरुआत होती है. इस महीने 20 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapad Purnima) है. जिसके बाद 21 सितंबर से अश्विन मास की शुरुआत हो जाएगी. हर महीना दो पक्षों में विभाजित होता है. कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha) और शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha). महीने के 15 दिन कृष्ण पक्ष के होते हैं. चातुर्मास का ये तीसरा महीना है. अश्विन मास की शुरुआत 21 सितंबर से होगी और ये 20 अक्टूबर तक रहेगा.


धार्मिक दृष्टि से अश्विन मास को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस मास में पितृपक्ष (Pitru Paksha) का समापन होता है और नवरात्रि, दशहरा, करवा चौथ, होई आदि त्योहार पड़ते हैं. कहते हैं जिस तरह से सावन को भोले शंकर का महीना कहा जाता है. भादो को श्री कृष्ण का महीना कहा जाता है, उसी तरह अश्विन मास को मां दूर्गा का महीना कहा जाता है. आइए जानते हैं इस महीने के कृष्ण पक्ष के त्योहारों के बारे में-


पितृपक्ष (Pitru Paksha)
वैसे तो पितृपक्ष की शुरुआत भादो महीने की पूर्णिमा के दिन से होती है. इस बार पितृपक्ष 20 सितबंर से शुरू हो रहे हैं और इसके बाद 15 दिन अश्विन मास के ही पितृ पक्ष चलेंगे. इनका समापन 6 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन होता है.


विघ्नराज संकष्टी (Vighanraj Sankashti)
बता दें कि हर महीने की चतुर्थी गणपति को समर्पित होती है. उसी तरह अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी के नाम से जाना जाता है. यह 24 सितंबर शुक्रवार को मानई जाएगी. इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है. इतना ही नहीं, भक्त इस दिन व्रत रखकर गणपति की उपासना करते हैं. 


इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi)
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. अश्विन मास के 2 अक्टूबर को इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और उपासना की जाती है. कहते हैं कि पितृ पक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आर्शीवाद देते हैं. इस एकादशी का व्रत रखने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर हो जाती हैं. 


सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार दोनों पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. 4 अक्टूबर को अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में सोम प्रदोष व्रत किया जाएगा. इस व्रत में भगवान शिव की अराधना की जाती है. इस व्रत के दौरान भगवान से सभी कष्ट दूर करने की प्रार्थना की जाती है. प्रदोष व्रत निर्जला किया जाता है. व्रत की पूजा शाम को की जाती है. इसलिए शाम को सूर्यास्त होने से पहले एक बार फिर से स्नान करना चाहिए. इसके बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान की पूजा की जाती है. 


मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri)
हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. अश्विन मास में मासिक शिवरात्रि 5 अक्टूबर को मानई जाएगी. हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का बहुत महत्व है. इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है.


सर्वपितृ अमावस्या (Sarv pitru Amavasya)
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष का आखिरी दिन होता है. पितृ पक्ष के आखिरी दिन को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. यह 6 अक्टूबर को है. इस दिन उस सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है, जिनके मृत्यु की तिथि याद नहीं है या भूल चूके हैं. 


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