Masik Shivratri Puja Vidhi: सनातन धर्म (Sanatan Dharma) के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि (Shivratri) मनाई जाती है. हिंदू धर्म में शिवरात्रि का विशेष महत्व है. हर मास की शिवरात्रि का मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) कहा जाता है. मासिक शिवरात्रि भी भोलेशंकर को समर्पित (Bhagwan Shiv Ki Puja) होती है. इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव जी की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखकर भगवान की उपासना करते हैं. भादों के बाद अब अश्विन मास आरंभ होगा. अश्विन मास (Ashwin Month) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी 4 अक्टूबर को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने और पूजा करने से भोलेनाथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
ग्रंथों में उल्लेख है कि देवी लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती ने भी भगवान शिव की अराधना करने के लिए शिवरात्रि का व्रत और पूजन किया था. भगवान शिव को प्रसन्न करने का उचित समय प्रदोष काल में होता है. मान्यता है कि भगवान शिव की अराधना दोनों समय मिलने के दौरान करनी शुभ होती है (जब दिन और रात मिलने वाले होते हैं). इतना ही नहीं, इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की अराधना करने से व्यक्ति को हर तरीके के कष्टों और कर्जों से मुक्ति मिलती है.
मासिक शिवरात्रि तिथि (Ashwin Month Shivratri Tithi)
पंचाग के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. इस बार 4 अक्टूबर को मनाई जाएगी. 4 अक्टूबर को रात 09:05 पर चतुर्दशी प्रारंभ होगी और 05 अक्टूबर शाम 07:04 पर समापन.
मासिक शिवरात्रि पूजन विधि (Masik Shivratri Pujan Vidhi)
मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने वाले भक्तों का ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें रात को जागकर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करनी चाहिए. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करने के बाद किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती व उनके परिवार की पूजा करें. पूजा के दौरान शिवलिंग का रुद्राभिषेक पंचामृत जल, शुद्ध घी, दूध, शक्कर, शहद, दही से करें. शिव पूजा के दौरान शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाना न भूलें.
इसके बाद भगवान शिव की धूप, दीप, फल और फूल के साथ पूजा-अर्चना करें. मासिक शिवरात्रि की पूजा करते समय ध्यान रखें कि पूजा के बाद शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ अवश्य करें. मासिक शिवरात्रि के व्रत में अन्न ग्रहण करने की मनाही होती है. आप शाम को फल खा सकते हैं लेकिन अन्न नहीं खा सकते. अगले दिन स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद ही व्रत का पारण करें.