Astrology for Giving or Receiving Gifts and Donation: हिंदू धर्म में दान का विशेष महत्व होता है और कई विशेष मौकों पर दान दिए जाते हैं. दान करने से कुंडली में ग्रह-नक्षत्र अनुकूल रहते हैं और पुण्य कर्म में वृद्धि होती है. वहीं कहीं मौके पर उपहार का भी लेनदेन होता है. लेकिन ज्योतिष शास्त्र में उपहार या दान का लेनदेन करते समय कुछ विशेष नियमों के बारे में बताया गया है.
दान और उपहार में अंतर
इसके अनुसार उपहार और दान दोनों ही वस्तुएं लिए और दिए जाते हैं. लेकिन दोनों के उद्देश्य अलग होते हैं. दान को जहां ग्रह-नक्षत्रों की शांति और पुण्य फल की प्राप्ति आदि के लिए दिया जाता है. तो वहीं उपहार का लेनदेन हमेशा किसी विशेष मौके या खुशी के अवसर पर होता है. लेकिन लेनदेन के नियम की जानकारी अभाव होने पर ग्रहण की जाने वाली या दी जाने वाली वस्तु आपके लिए हानिकारक साबित हो सकती है. क्योंकि इसका संबंध विशेष ग्रह से होता है. इसलिए दान या उपहार का लेनदेन करते समय यह जान लें कि व्यक्ति को किस ग्रह से संबंधित कौन सी वस्तु लेनी या देनी चाहिए.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी वस्तु का संबंध एक निश्चित ग्रह से होता है. दूसरे शब्दों में कहें तो निश्चित वस्तु का कारकतत्व एक निश्चित ग्रह से होता है. यही कारण है कि कभी-कभी दान और उपहार के लेनदेन से अशुभ फल की प्राप्ति होती है. क्योंकि कुंडली में जो ग्रह शुभ फलदाई होते हैं आप जाने-अनजाने में उससे संबंधित वस्तु को दान या भेंट दे देते हैं, जिससे ग्रह की शुभता कम हो जाती है.
इसलिए जान लें कि किस ग्रह का आधिपत्य किन वस्तुओं पर होता है. किसी वस्तु को उपहार या दान स्वरूप देने और लेने से पहले अपनी कुंडली में ग्रहों की स्थिति जरूर देखें. जानते हैं ग्रहों से संबंधित वस्तुओं के लेनदेन के बारे में.
जानें किन ग्रहों का आधिपत्य किन वस्तुओं पर
- सूर्य ग्रह- तांबा, माणिक्य, राजसी चिह्नयुक्त वस्तु, पुरातन महत्व वाली वस्तु और विज्ञान से संबंधित वस्तुओं का संबंध सूर्य ग्रह से होता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति शुभ हो तो उसे इससे संबंधित चीजों को ग्रहण करना शुभ फलदायी होता है.वहीं सूर्य नीच या दु:स्थान में हो तो ऐसी चीजों का दान करना उचित होता है.
- चंद्रमा ग्रह, चांदी, चावल, सीप, मोती, शंख, वाहन आदि जैसी वस्तुएं चंद्रमा से संबंधित होती हैं. चंद्रमा की अनिष्ट स्थिति में इन चीजों का दान करना चाहिए लेकिन ग्रहण नहीं करना चाहिए. वहीं कुंडली में चंद्र की अच्छी स्थिति में होने पर इन वस्तुओं को लेना चाहिए. लेकिन दान नहीं करना चाहिए अन्यथा ग्रह कलेह, चिंता, व्यर्थ भागदौड़ आदि में परेशानी में वृद्धि होती है.
- मंगल ग्रह- जिंक धातु और चोरी की वस्तुओं पर मंगल ग्रह का आधिपत्य होता है.कुंडली में मंगल ग्रह अनिष्ट फल दे तो किसी से भी मिठाई का भेंट लेने से बचें. लेकिन मिठाई का दान करना अच्छा होता है.
- बुध ग्रह- कुंडली में यदि बुध अनिष्ट फलदायी हो तो कलम , खिलौने और खेलकूद का सामान देने चाहिए. वहीं कुंडली में यदि बुध शुभ फलदायी हो तो इन चीजों को लेने में संकोच नहीं करें.
- गुरु ग्रह- धार्मिक पुस्तकें, स्वर्ण, पीले वस्त्र, केसर आदि का उपहार गुरु के अशुभ फलदायी होने पर ले सकते हैं. लेकिन इन चीजों का दान करने पर गुरु का शुभ फल कम हो सकता है. इससे धन आवक में अवरोध, व्यापार में घाटा और तरक्की में रुकावटें हो सकती है.
- शुक्र ग्रह- सुगंधित द्रव्य, रेशमी वस्त्र, चार पहिया वाहन, सुख-सुविधा से जुड़े सामान, स्त्रियों प्रसाधान वस्तुएं शुक्र ग्रह से संबंधित होती हैं. यदि कुंडली में शुक्र अशुभ फलदायी हो तो इन चीजों को बांटें लेकिन ग्रहण नहीं करें. ऐसा करना स्त्रियों से पीड़ा, वैमनस्य, मूत्र रोग का कारण बन सकते हैं.
- शनि ग्रह- कुंडली में यदि शनि ग्रह शुभ स्थिति में तो ही पार्टी वगैरह में जाएं लेकिन घर पर मेहमानों को बुलाकर पार्टी न करें.
- राहु ग्रह- बिजली उपकरण, कार्बन, दवाइयां, वर्तुलाकार आदि वस्तुओं पर राहु ग्रह का अधिकार होता है. इन वस्तुओं का आदान-प्रदान करने से पहले कुंडली में राहु की स्थिति जरूर जान लें.
- केतु ग्रह- कंबल, जूते-चप्पल, कुत्ता, चाकू-छुरी, मछली से बने व्यंजन आदि पर केतु ग्रह का अधिकार है. केतु अच्छा हो तो इन वस्तुओं को लेना चाहिए लेकिन देने से बचें. केतु कमजोर होने पर इन चीजों का लेने और मजबूत होने पर देने पर कान के रोग, पैरों पर चोट और पुत्र को पीड़ा हो सकती है.
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