Surya Dev: आज सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए कर लें ये उपाय, कुंडली में मजबूत होगी सूर्य की स्थिति
Surya Dev Puja Upay: वैसे तो नियमित रूप से सूर्य देव को जल अर्पित करने से व्यक्ति का भाग्य उदय होता है, लेकिन रविवार के दिन जल अर्पित करने से सातों दिन जल अर्पित करने जितना फल मिलता है.
Lord Surya Dev Puja Niyam: वैसे तो नियमित रूप से सूर्य देव को जल अर्पित करने से व्यक्ति का भाग्य उदय होता है, लेकिन मान्यता है कि रविवार के दिन सूर्य देव को जल अर्पित करने से व्यक्ति को सातों दिन जल अर्पित करने जितना फल मिलता है. ऐसा करने से सूर्य देव की स्थिति कुंडली में मजबूत होती है. रविवार के दिन सूर्य देव को जल अर्पित करने के साथ इन बातों का खास ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है. आइए जानें.
स्नान के समय करें उपाय
किसी जातक की कुंडली में सूर्य अनिष्ट कारक होने पर स्नान के समय जल में खसखस, लाल फूल या फिर केसर डालकर नहाना चाहिए. ऐसा करना शुभ माना जाता है. ये तीनों ही चीजें सूर्य की कारक मानी गई हैं. ऐसा करने से व्यक्ति को रोगों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है. ऐसा माना जाता है कि इन तीनों चीजों को जल में शामिल करने से सूर्य की वस्तुओं के गुण व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं.
सूर्य की कारक वस्तुओं का दान
शास्त्रों के अनुसार सूर्य के दुष्प्रभावों से बचने के लिए सूर्य की कारक वस्तुओं का दान अवश्य करें. इनमें तांबा, गुड़, गेहूं, मसूर दाल आदि का दान किया जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि दान देनी वाली वस्तुओं को हर रविवार या फिर मकर संक्रांति के दिन दान करना चाहिए. साथ ही, सूर्य ग्रहण के दिन भी वस्तुओं का दान लाभकारी बताया गया है.
मंत्र का जाप करें
मान्यता है कि सूर्य देव की कृपा पाने के लिए मंत्र जाप विशेष फलदायी है. आप ‘ओम घूणि: सूर्य आदित्य:’ मंत्र का नियमित रूप से जाप करें. समय का अभाव होने पर हर रविवार भी मंत्र जाप कर सकते हैं. रविवार के दिन किया मंत्र जाप विशेष रूप से फल प्रदान करता है. इसे 10-20 है या फिर 108 बार भी कर सकते हैं.
सूर्य यंत्र की स्थापना करें
धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव की कृपा पाने के लिए तांबे के सूर्य यंत्र की स्थापना करनी चाहिए. तांबे का सूर्य यंत्र न होने पर इसे स्वंय भी बनाया जा सकता है. इसके लिए भोजपत्र या फिर कागज पर लाल चंदन, केसर, कस्तूरी का इस्तेमाल करें.
सूर्य हवन कराएं
इसके साथ ही सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए या फिर कुंडली में सूर्य के दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए, या फिर सूर्य के राहु केतु से पीड़ित होने पर सूर्य से संबंधित हवन कराना उत्तम रहता है.
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