एक दिन में 60 घटी होती हैं.  24 मिनट की एक घटी होती है. सूर्याेदय के बाद की पहली घटी दिन का सर्वाेत्तम समय होता है. इसे लोकाचार में पहली पौ फूटते ही कामकाज के लिए निकल पड़ने की प्राचीन आदत से जोड़कर दे सकते हैं. भारत में सूर्याेदय सामान्यतः साढ़े पांच से साढ़े छह बजे के बीच होता है.

सुनहरी किरण के आकाश में उभरते ही दिन का सर्वाेत्तम समय आरंभ हो जाता है. सूर्याेदय के बाद की पहली घटी अमृत बेला कहलाता है. इसमें किए गए शुभकार्य की आयु और उसका प्रभाव बढ़ जाता है.

सुविधा के लिए इसे सूर्याेदय से पहले एक घंटे का समय भी माना जाने लगा है. यानि ढाई घटी का समय. परंतु सबसे महत्वपूर्ण और श्रेष्ठ पहली घटी का समय ही होता है. वार के प्रभाव को भी पहली घटी में ही सर्वाधिक बल मिलता है. इस प्रकार सातों वारों के अनुसार हम कार्यारंभ कर सकते हैं.

सोमवार को सौम्य और भावना प्रधान कार्याें की आरंभ पहली घटी में कर सकते हैं- जैसे- किसी व्यक्ति से आत्मिक भेंट के लिए जाना. मंगलवार को यंत्रादि से जुड़े कार्याें का आरंभ कर सकते हैं। युद्ध उपकरण लाना सुधारना और प्रयोग में लाना.


बुधवार को बौद्धिक और व्यवहारिक कार्याें का आरंभ करना. गुरुवार को वरिष्ठों भेंट करना. गुरुदीक्षा लेना, गुरुओं की सेवा में निकलना, धार्मिक कार्याें की शुरूआत करना, शुक्रवार को लाइफ स्टाइल से जुड़ी वस्तुओं की खरीदी-बिक्री करना, वाहनादि का लाना इत्यादि.


शनिवार को जन संवाद और समाज के कम महत्व के माने जाने वाले जनहित के कार्याें की शुरूआत करना. सेवा क्षेत्र से जुडे़ प्रयासों को गति देना. रविवार को जिम्मेदार लोगों से भेंट करना। योजनाओं पर अमल बढ़ाना. लक्ष्योन्मुख यात्रा पर निकलना.