Astrology: शत्रुओं को पराजित करने के बाद ही विजय पताका लहराती है. रणभूमि में शत्रु को धूल चटा देना सुख की अनुभूति कराती है. आज के इस कंपटीशन के युग में प्रतियोगियों के बीच में एक युद्ध की स्थिति बनी हुई है. पढ़ाई करते हुए शिक्षा प्राप्त कर लेना यह एक चरण है और प्रतियोगिता की तैयारी करते हुए उसमें विजय प्राप्त करना दूसरा चरण होता है.


कुंडली में यदि शत्रु को पराजित करने वाले, शत्रुहंता जैसी स्थिति बनी होती है तभी व्यक्ति को प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त होती है. यहां एक प्रत्यक्ष शत्रु है. किस राशि या लग्न वाले लोगों के लिए शत्रुओं को कंट्रोल करने वाला ग्रह कौन सा है. कौन है जो कंपटीशन में सफलता दिलाते हैं.क्या होता है यदि कंपटीशन में विजय दिलाने वाले कमजोर हो जाए या बहुत बलवान हो जाए. 


सूर्य - ग्रहों के राजा सूर्य मीन राशि या मीन लग्न वालों के लिए शत्रु को कंट्रोल करते हैं. शत्रु और शत्रुता के अर्थ को समझना होगा.  शत्रु व्यक्ति, रोग, प्रतियोगी कई तरह के होते हैं. हर शत्रु को परास्त करने के लिए युद्धक्षेत्र और अस्त्र यह सब बदल चुके हैं. सूर्य के शत्रु भाव के स्वामी होने से मीन राशि वालों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि गैरकानूनी काम भूल कर भी न करें. मीन राशि और लग्न वालों को एक बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि पिता के साथ कभी भी विरोध नहीं करेंगे.  


क्या करें- सूर्य नमस्कार करें. मीन राशि और मीन लग्न के जो बच्चे हैं उनके माता-पिता को चाहिए कि वह बचपन से ही बच्चों को सूर्य नमस्कार करने का अभ्यास कराएं और जीवन पर्यंत उसका वह पालन करें जो बच्चे 12 वर्ष तक निरंतर सूर्य नमस्कार करते हैं, उनके भीतर अद्भुत शक्ति आ जाती है और जीवन में सूर्य की कृपा से यश कीर्ति प्राप्त करते हैं.


चंद्रमा- कुंभ राशि या कुंभ लग्न वालों के लिए चंद्रमा शत्रु भाव का स्वामी होता है. अगर कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत हो तो ऐसा व्यक्ति प्रतियोगिता में या फिर किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा में विजय प्राप्त करता है और उच्च पद तक जाता है. चंद्रमा यदि बिगड़ जाए तो व्यक्ति के मन में विचलन रहता है और शत्रु को लेकर सदैव आशंकित रहते हैं. कई बार यहां तक हो सकता है कि कुंभ राशि वाले को अज्ञात भय होने लगे. चंद्रमा चुकी बहुत चंचल है और मन का भी कारक है तो समझने वाली बात यह है, कि मन का कारक और शत्रु का स्वामी का आपस में कनेक्शन हो जाता है. जिसकी वजह से व्यक्ति के अंदर सदैव सुरक्षात्मक प्रवृत्ति पैदा हो जाती है यानी ऐसा व्यक्ति कोई भी कार्य करने से पहले अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करता है. जो लोग नौकरी करते हैं उनको नौकरी के दौरान पीड़ित चंद्रमा प्रमोशन में अड़ंगा डालता रहता है और वहीं अगर चंद्रमा की स्थिति अच्छी है, तो वह उच्च पद पर बैठा देता है. कुंभ राशि वालों को अपने ननिहाल और मामा के साथ संबंध मधुर रखने चाहिए उनकी ओर से आने वाली शुभकामनाएं उनके लिए उन्नति कारक होती हैं लेकिन कई बार परिस्थिति विषम होने के कारण संबंधों में खटास भी आ जाती है.


क्या करें- कुंभ वालों को सदैव अपने मन को एकाग्र करने वाले व्यायाम करने चाहिए और साथ ही प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़नी चाहिए सफल लोगों के जीवन परिचय को अवश्य पढ़ना चाहिए. मन में सकारात्मक विचारों की कमी नहीं होनी चाहिए और मन से कभी हारना नहीं चाहिए, क्योंकि कहा भी गया है मन के हारे हार है और मन के जीते जीत.


मंगल – बिना मंगल ग्रह की कृपा के राशि वृश्चिक लग्न वाले या मिथुन राशि और मिथुन लग्न वाले किसी भी प्रतियोगिता में सफल नहीं हो सकते. वृश्चिक राशि और लग्न वालों के लिए प्रतियोगिता के क्षेत्र का स्वामी मंगल होने के कारण उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वृश्चिक का स्वामी भी मंगल होता है इसलिए वृश्चिक वाले यदि किसी प्रतियोगिता में या अपने लक्ष्य पर फोकस कर लेते हैं तो वह उसमें सफल हो जाते हैं. मंगल ग्रहों में सेनापति हैं और इनका जो स्वभाव है वह कठोर परिश्रम और शारीरिक क्षमता से काफी फिट है इसलिए  मिथुन राशि वालों के लिए विशेष कर ध्यान रखने वाली बात यह है. प्रोफेशन से रिलेटेड पढ़ाई करनी चाहिए क्योंकि मिथुन में मंगल लाभ से भी कनेक्ट है. 


क्या करें - ऊर्जा का हृास करने से बचना चाहिए. शारीरिक ऊर्जा… मानसिक ऊर्जा बढ़ाने होगी. हनुमान जी के चरित्र को समझना होगा.. सुंदरकांड का पाठ 


बुध – मेष राशि और मकर राशि वालों के लिए प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां देने वाला बुध ग्रह या यूं कहें कि यही बुध ग्रह संघर्ष और युद्ध के घर को कंट्रोल करता है. यदि बुध जो की बुद्धि का ग्रह है और ग्रहों में युवराज है. यह मजबूत हो तो चुनौतियों को कम करेगा और यदि विषम स्थिति में कुपित होकर बैठ जाएं तो ऐसी फैटी लीवर में फंसा देते हैं, कि उस झंझावात से निकलना सरल नहीं होता है. मेष राशि वालों के लिए प्रतिस्पर्धा यानी कंपटीशन की राशि कन्या राशि होती है और काल पुरुष की कुंडली में कन्या राशि रोग ऋण और शत्रु से संबंधित है और इस राशि के स्वामी हैं बुध. ठीक उसी प्रकार मकर लग्न वालों के लिए युद्ध क्षेत्र और संघर्ष स्थान मिथुन राशि पर है, जोकि बुध ग्रह द्वारा नियंत्रित है, इसलिए मेष और मकर वालों के लिए बुध ग्रह को प्रसन्न रखना बहुत जरूरी है इनकी कृपा से ही उत्साह हर्ष प्रेम और बुद्धिमत्ता का जन्म होगा. 


क्या करें-  बुध ग्रह को प्रसन्न रखने के लिए क्या करना चाहिए इसमें सबसे पहले बुध का संबंध प्लानिंग से है इसलिए कोई भी कार्य करें, प्लानिंग के साथ करें. जीवन में खेल को महत्व जरूर देना चाहिए दिन में थोड़ी देर आउटडोर गेम खेलना चाहिए. इसके अतिरिक्त बागवानी करना वृक्षारोपण करना भी लाभकारी रहता है. पूजा में श्री गणपति जी की उपासना करना लाभकारी होगा. 


गुरु – कर्क और तुला लग्न जिन लोगों की है, उनके लिए कंपटीशन देने वाले देव गुरु बृहस्पति हैं. गुरु को प्रसन्न करना अति आवश्यक है, क्योंकि बिना उनकी प्रसन्नता के किसी भी युद्ध में विजय प्राप्त करना संभव न होगा. कर्क लग्न वालों के लिए धनु राशि के अधिपति होने के कारण गुरु को प्रसन्न करना है. धनु के स्वामी होकर वह बहुत ही लक्ष्य को महत्व देने वाले हो जाते हैं, जो भी कंपटीशन है या किसी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे हैं उसमें कर्क वालों को टारगेट बना कर काम करना चाहिए और अगर कुंडली में देव गुरु बृहस्पति कुपित हैं यानी खराब है तो निश्चित ही लक्ष्य को भेदना सरल ना होगा. तुला लग्न वालों के लिए गुरु मीन राशि के आधिपत्य होकर चंचलता के साथ त्याग की भावना लेकर आप की चुनौतियों को कंट्रोल करेंगे, ऐसी स्थिति में अक्सर प्रतियोगिता से प्रतियोगी का मन हटने लगता है और देव गुरु बृहस्पति अगर कमजोर हैं तो निश्चित रूप से किसी भी परीक्षा को बीच में छोड़कर जाने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो सकती है. कर्क और तुला लग्न वालों के लिए यह देव गुरु बृहस्पति बहुत महत्वपूर्ण है, गुरु के द्वारा संस्कार ज्ञान की प्राप्ति होती है. गुरु यदि नाराज भी हो जाते हैं तो भी उनका मूल स्वभाव सभी का हित करना ही है. 


क्या करें-देव गुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए सर्वप्रथम संस्कारी होना अति आवश्यक है. गुरु अच्छे आचरण देखकर अपनी संस्कार व परंपरा को आगे बढ़ाने वाले लोगों का कल्याण करते हैं. देव गुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए गाय की सेवा करना बहुत ही कारगर होता है. गौ माता की सेवा करने वालों को कभी कष्ट नहीं देते कुछ देते हैं. विद्या का दान देने से भी गुरु प्रसन्न होते हैं. किसी गरीब बच्चे को पढ़ने में मदद करना स्कूल की फीस देना पुस्तकें देना वस्त्र देना. भोजन देना जैसे कार्य गुरु को प्रसन्न करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. किसी भी प्रकार का नशा करने वालों से गुरु कभी प्रसन्न नहीं होते हैं. 


शुक्र- शुक्र ग्रह चुनौतियां और कंपटीशन वृष लग्न और धनु लग्न वालों के लिए उत्पन्न करते हैं अगर शुक्र ग्रह प्रसन्न है कुंडली में इनकी स्थिति सकारात्मक है तो निश्चित रूप से भ्रष्ट और धनु वाले बहुत सफल होते हैं वृष लग्न वालों के लिए यह बहुत अधिक चुनौतियां नहीं देते हैं क्योंकि यह चुनौतियों के स्वामी के साथ-साथ इनके लग्न के भी स्वामी होते हैं और लग्न का स्वामी सदैव हित करने के लिए बाध्य होता है वहीं धन वालों के लिए यह चुनौतियां देने में पीछे नहीं हटते धनु वालों को ऊर्जा की कमी के कारण संघर्ष अधिक दे देते हैं आर्थिक रूप से चुनौतियां पैदा करके लक्ष्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न कर सकते हैं लेकिन वही शुक्र यदि सकारात्मक स्थिति में हूं तो यह लाभ भी बहुत कराते हैं


क्या करें - शुक्र को प्रसन्न करने के लिए देवी की उपासना करना बहुत ही आवश्यक है. मां भगवती की कृपा से शुक्र ग्रह प्रसन्न होते हैं और जीवन में यश कीर्ति धन समृद्धि सभी देने में कोई कमी नहीं रखते हैं. इस कलयुग में कोई भी लगभग हर लग्न के व्यक्ति को शुक्र से संबंधित वस्तुओं की आवश्यकता होती है वह लक्ष्मी हो या सुख सुविधाएं. किसी गरीब कन्या के विवाह में सहयोग करने से भी शुक्र प्रसन्न होते हैं.


शनि- शनि देव जोकि कर्म फल दाता है और वह जब चुनौतियों और प्रतियोगिता से भी संबंध बना लेते हैं तो निश्चित रूप से कठोर तपस्या करके ही फल प्राप्त होता है. सिंह लग्न और कन्या लग्न के व्यक्तियों के लिए यह शनि जीवन की चुनौतियां संघर्ष और युद्ध को नियंत्रित करने वाले होते हैं. यदि कुंडली में शनि देव अच्छी अवस्था में हैं, तो कोई भी प्रतियोगिता में पराजित नहीं कर सकता किंतु यदि शनि खराब स्थिति में है तो संघर्ष भी काफी बढ़ा देते हैं.


क्या करें- शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सेवा भाव मन में रखना होगा. गरीबों की सेवा करना जो लोग भोजन के अभाव में है, उनको भोजन प्रदान करना और किसी गरीब का पेट भरना शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सर्वोत्तम उपाय शनि देव नियमित रूप से व्यायाम करने से भी प्रसन्न होते हैं. इसके अतिरिक्त शिवओपासना करनी चाहिए. नियमित रूप से दानपुण्य भी करते रहें तो शनिदेव के कोप से बचा जा सकता है. सिंह और कन्या लग्न के व्यक्ति के लिए शनि को प्रसन्न रखना बहुत आवश्यक है.


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