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Ayodhya: रामराज्य कहां तक फैला था, शास्त्रानुसार जानिए रामराज्य की भौगोलिक सीमाएं 

Ayodhya: अयोध्या को मनु द्वारा बसाया गया था. यह सरयू के तट पर बसी है. शास्त्रों में रामराज्य अयोध्या की भौगोलिक सीमाओं का वर्णन किया गया है, जिसके अनुसार यह 12 योजन लंबी और 3 योजन चौड़ी है.

Ayodhya: प्रत्येक देश-प्रदेश को किसी एक नाम से जानने के लिए उसकी निश्चित भौगोलिक सीमा होना अनिवार्य है. यही स्थिति कोसल अथवा कौशल देश की थी, जिसकी केंद्रबिंदु थी अयोध्या. अयोध्या केवल उतने ही स्थान तक सीमित नहीं थी. अयोध्या को मनु ने बसाया था. यह बहुत दिनों तक इक्ष्वाकु राजाओं की राजधानी रही है. अयोध्या का नाम ही इंगित (संकेत) करता है कि यहां कोई युद्ध करने की हिम्मत नही करता. इसे साकेत के नाम से भी जाना जाता है.

अयोध्या को दी गई है ॐ की संज्ञा 

स्कंद पुराण (वैष्णव खंड, अयोध्या माहात्म्य अध्याय 1) के अनुसार, अयोध्या सरयू के तटपर बसी है और इसी अध्याय में अयोध्या को ॐ की संज्ञा दी है. अकार (अ) कहते हैं ब्रह्मा को, यकार (य) विष्णु का नाम है और धकार (ध) रुद्र स्वरूप है, इन सबके योग से ‘अयोध्या’ नाम शोभित होता है. समस्त उप पातकों के साथ ब्रह्महत्या आदि महापातक इस पुरी से युद्ध नहीं कर सकते, इसलिए इसे ‘अयोध्या’ कहते हैं. यह भगवान विष्णु की आदिपुरी है और विष्णु के सुदर्शन–चक्र पर स्थित है. अतएव पृथ्वी पर अतिशय पुण्यदायिनी है. इस पुरी की महिमा का वर्णन कौन कर सकता है, जहां साक्षात भगवान विष्णु आदरपूर्वक निवास करते हैं, इसे मछली के आकार का भी बताया गया है.

शास्त्रानुसार जानिए रामराज्य की भौगोलिक सीमाएं 

  • यह बारह योजन लम्बी और तीन योजन चौड़ी है (वाल्मिकी रामायण बालकांड 5.5-7). इसके चारों ओर कोट (Fortress) है. कोट के नीचे की खाई में जल भरा है. सम्पूर्ण राज्य लम्बाई में अड़तालीस कोस और चौड़ाई में तेरह कोस था.
  • पुस्तक "मैं रामवंशी हूं" में इन सभी तथ्यों पर एक विस्तृत विवेचन किया है. इसी पुस्तक के सारखण्ड के चतुर्थ सर्ग में अयोध्या (पृष्ठ 135) में उन्होंने प्रमाणों सहित इसकी जानकारी दी है कि वाल्मीकि ने रामायण में कोशल के लिए लिखा है "कोशलो नाम मुदित:स्फीतो जनपदो महान"(वाल्मिकी रामायण बाल कांड 5.5). इसका अर्थ है की कोशल एक महत्वपूर्ण जनपद है. 
  • रामायण या भागवत में कई बार राम को कोसलेंद्र या कोसलेश्वर भी कहा है. कोसल की पूर्वी सीमा पर गण्डकी नदी है. यह नदी कोसल और विदेह राज्य को विभाजित करने का काम करती है.
  • पश्चिमी सीमा पर पांचाल प्रदेश है. कैकेय प्रदेश को जाने का रास्ता यहीं से था. भरत यहीं से अपने नाना के यहां से घर लौटे थे (वाल्मिकी रामायण 2.65-71). रामगंगा या कुटि कोष्टिका इसकी पश्चिमी सीमा थी. उत्तरी सीमा पर हिमालय है. गंगा मैया दक्षिणी सीमा पर तैनात थीं.
  • आज के आधुनिक जनपदों में सीतापुर, बहराइच, गोंडा, प्रतापगढ़, आज़मगढ़, देवरिया, गोरखपुर, फैज़ाबाद, अयोध्या, रायबरेली, सुल्तानपुर, उन्नाव, बाराबंकी, लखनऊ, आदि इसके अंतर्गत आते थे। यह क्षेत्र सरयू के दोनों तटों पर बसा है.
  • अचिरावती नदी ही आजकल राप्ती के नाम से जानी जाती है. बाहुका नदी बूढ़ी राप्ती के नाम से जानी जाती है. दूसरा जाना माना नगर है श्रावस्ती जिसे इक्ष्वाकु वंश के श्रावस्त ने बसाया था.
  • राम के बेटे कुश का राज्य विंध्य पर्वत के पास कुशावती में था. आधुनिक काल में विशेषज्ञ इसे कुशीनगर मानते हैं. यही कोसल देश की सीमा थी और अयोध्या उसकी राजधानी थी. भूकंप, बाढ़, नदी का कटाव और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण अयोध्या का भौगोलिक स्वरूप में परिवर्तन अवश्य हुआ है किंतु गंगा, सरयू, तमसा, गोमती, स्यांदिक, अचिरावती आदि नदियां आज भी उस महाजनपद का स्मरण करती हैं.

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[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

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