Ayodhya Ram Mandir: राम लला की मूर्ति के प्राण-प्रतिष्ठा की घड़ी भी नजदीक है. राम मंदिर जितना भव्य होगा उतनी ही मनमोहक राम लला की नई मूर्तियां है. 22 जनवरी 2024 को राम लला की नई मूर्तिया गर्भगृह में विराजमान होंगी, प्राण प्रतिष्ठा की परंपरा निभाई जाएगी.


राम लला की तीन नई मूर्तियां निर्मित की गईं है. श्रीराम की पुरानी मूर्तियों को भी गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा. ये उत्सव मूर्ति कहलाएगी. वहीं नई मूर्ति अचल मूर्ति के तौर पर रहेगी. जानें क्या है उत्सव मूर्ति और अचल मूर्ति.


राम मंदिर की ‘अचल’ मूर्ति का महत्व (Ram Mandir :Achal Murti')


अचल यानी स्थाई. राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होने वाली मूर्ति अचल मूर्ति रहेगी. इसके लिए अरुण योगीराज की मूर्ति को फाइनल किया गया है जो श्याम वर्ण वाली होगी. राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार राम लला अचल मूर्ति 51 इंच लंबी बनाई गई है, जिसमें 5 साल के बाल स्वरूप में श्रीराम कमल पर आसित हैं. कमल के फूल के साथ मूर्ति की लंबाई 8 फीट होगी. मूर्ति को खड़े हुए दिखाया गया है, जिसमें राम जी के हाथों में धनुष है.


श्रीराम स्तुति में कहा गया है निलांबुजम श्यामम कोमलांगम अर्थात श्रीराम श्यामल रंग के हैं. यही कारण है कि श्याम वर्ण की मूर्ति ही मंदिर के प्रथम तल पर गर्भगृह में स्थापित की जाएगी


क्या है राम लला की ‘उत्सव’ मूर्ति (Ram Mandir 'Utsav Murti')


1949 से राम लला की जिस प्रतिमा की पूजा की जा रही है उसे चल यानी उत्सव मूर्ति नाम दिया गया है.  ये मूर्तियां भी प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति के पास ही विराजमान होंगी. श्रीराम की पुरानी मूर्तियों को आकार बहुत छोटा है, इस कारण भक्तों को दर्शन नहीं हो पाते थे. चूंकि पुरानी मूर्ति की सालों से पूजा हो रही है, विराजमान रामलला के नाम पर ही दिव्य मंदिर बनाने को लेकर सालों मुकदमा चला और उसमें जीत मिली, इसलिए इस प्रतिमा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. राम जी से जुड़े उत्सव में इन मूर्तियों को यात्रा के लिए निकाला जाएगा. इसलिए इन्हें उत्सव मूर्ति नाम दिया गया है.


राम मंदिर के लिए 3 मूर्तियां


राम मंदिर के लिए तीन अलग अलग मूर्तिकारों ने राम लला की प्रतिमा बनाई हैं, जिसमें कर्नाटक के अरुण योगीराज की नीले पत्थर यानी श्यामवर्ण वाली तीन मूर्ति गर्भगृह में विराजित होगी. वहीं सत्यनारायण पांडेय की प्रतिमा सफेद संगमरमर की है, श्वेतवर्ण वाली. तीसरी मूर्ति भी नीले पत्थर की है लेकिन उसे दक्षिण भारत की शैली में बनाया गया है. इसे गणेश भट्‌ट ने बनाया है. राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार मुख्य मूर्ति के अलावा दोनों शेष मूर्तियां भी दर्शन के लिए रखी जाएगी.


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