Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ ही देशवासियों तथा सनातन प्रेमियों का वर्षों का इंतजार और सपना पूरा हुआ. 22 जनवरी को देशभर में अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया और राम ज्योति से पूरा देश रौशन हुआ. इस तरह से सोमवार, 22 जनवरी 2024 का दिन इतिहास के पन्ने में दर्ज हो गया.


अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का समारोह विधिपूर्वक संपन्न हो गया है और 23 जनवरी से ही प्रतिदिन लाखों की तादाद में रामभक्त रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं. प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी राम मंदिर में पूजन और विधियों का सिलसिला जारी है. इस पूजन प्रकिया का नाम है मंडल पूजा (Mandal Puja). आइये जानते हैं रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद चल रही मंडल पूजा क्या है और ये कितने दिनों तक चलेगी.


मंडल पूजा क्या है?


रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह 22 जनवरी को संपन्न होने के बाद 23 जनवरी से मंदिर में विशेष मंडल पूजा की शुरुआत हो चुकी है. 23 जनवरी से लेकर पूरे 48 दिनों तक यह पूजा चलेगी. 48 दिनों तक चलने वाली इसी विशेष पूजन प्रक्रिया को मंडल पूजा कहा जाता है. 


गणेश, अम्बिका, कलश, मातृका, वास्तु मंडल, योगिनी, क्षेत्रपाल, नवग्रह मंडल, वारुण मंडल इन्द्रादि देवताओं, मातृशक्तियों और अरुन्धति सहित सप्तऋषि आदि के साथ प्रमुखता से सर्वतोभद्र मंडल के मध्य प्रमुख देवता को विराजमान कर विशेष पूजन किया जाता है. अयोध्या में भी प्रभु श्री राम के नवनिर्मित मंदिर में विराजमान होने के बाद 23 जनवरी से इस अनुष्ठान के जरिए देवी देवताओं का आह्वान किया जा रहा है.


वैसे तो उत्तर भारत में मंडल पूजा बहुत ज्यादा प्रचलित नहीं है. लेकिन दक्षिण भारत में मंडल पूजा बहुत प्रचलित है. अयोध्या के विद्वान और संत इस विधि को अच्छी तरह से जानते हैं. अयोध्या में 48 दिनों की मंडल पूजा कर्नाटक के उडुपी के जगद्गुरु मध्वाचार्य विश्व प्रसन्न तीर्थ स्वामी के नेतृत्व में की जा रही है, जोकि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra) के सदस्य भी हैं. खबरों की माने तो राम मंदिर में मंडल पूजा का अनुष्ठान रामलला के गृभ गृह परिसर में किया जा रहा है. इसके लिए एक निश्चित स्थान है, जहां विद्वानों और संतों द्वारा पूरे विधि-विधान से इस अनुष्ठान को किया जा रहा है, जिससे कि मंदिर में भक्तों का पूजन व दर्शन प्रभावित न हो.




कैसे की जाती है मंडल पूजा


मंडल पूजा हिंदू धर्म द्वारा निर्धारित दुर्लभ अनुष्ठानों में एक है, जोकि 48 दिनों तक चलती है. सर्वतोभद्र मंडल मंगलप्रद एवं कल्याणकारी माना जाता है. यज्ञ यागादिक, देव प्रतिष्ठा, मांगलिक पूजा महोत्सव, अनुष्ठान आदि देव कार्यों में सर्वतोभद्र मंडल का सर्वविधक पूजन किया जाता है. अयोध्या राम मंदिर में मंडल पूजा का शुभारंभ भगवान गणेश के आह्वान के साथ शुरू हो चुका है. इसमें सोने-चांदी के कलश पात्रों में द्रव्य (पवित्र तरल) के साथ रामलला की मूर्ति का अभिषेक किया जा रहा है और विद्वानों व आचार्यों द्वारा पूजा के दौरान चतुर्वेद और दिव्य ग्रंथों का परायण किया जा रहा है.


मंडल पूजा के नियम क्या करें क्या नहीं


48 दिनों तक चलने वाली मंडल पूजा के दौरान कई नियमों का पालन करना पड़ता है.
48 दिनों तक ब्रह्मचर्य, पवित्रता और त्याग का पालन करना चाहिए.
ईश्वर का ध्यान करत हुए पांच विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) से दूर रहना चाहिए.


प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की पूजन प्रकिया


22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन ही मंदिर में रोजाना लाखों की संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं. अब रामलला की पूजा प्रकिया में कुछ बदलवा भी किए गए हैं. पहले रामलला की तीन बार आरती होती थी,जोकि अब 6 बार होगी. रामलला के पुजारियों के प्रशिक्षक आचार्य मिथलेश नंदिनी शरण ने बताया कि, रामलला की पूरे दिन में छह बार आरती होगी, जिसमें मंगला आरती, श्रृंगार आरती, भोग आरती, उत्थापन आरती, संध्या आरती और शयण आरती शामिल है.


साथ ही रामलला को पूरी-सब्जी, रबड़ी, खीर, दूध, फल और मेवे आदि का भोग भी लगाया जाएगा. रामलला के बाल स्वरूप मूर्ति को हर दिन अलग-अलग वस्त्र पहनाए जा रहे हैं और फूलों से श्रृंगार भी किया जा रहा है. सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को बादामी, शनिवार को नीला और रविवार को गुलाबी वस्त्र रामलला को धारण कराए जा रहे हैं.


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