Ramlala Pran Pratishtha: श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में करीब 5 सदी बाद रामलला का मंदिर बना है, जोकि सनातन प्रेमियों के लिए खास महत्व रखता है. मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी 2024 की तारीख निर्धारित की गई है. राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर एक तरफ जहां देशभर में उत्साह का माहौल हैं, वहीं मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में चारों शंकराचार्य के कथित तौर पर शामिल न होने की बात मीडिया में सुर्खियों में है. आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला-
चार मठों के शंकराचार्य के प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल न होने की खबर अलग-अलग तरह से सुनने को मिल रही है. इस बीच विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने शुक्रवार को कहा कि. चार में से दो शंकराचार्यों ने राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का खुले तौर पर स्वागत किया है. लेकिन वे किसी कारण से प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. लेकिन बताया जा रहा है कि, कार्यक्रम से इतर वे अपनी सुविधानुसार राम मंदिर जाएंगे.
शास्त्रीय विधा से नहीं हो रहा राम मंदिर का उद्घाटन!
शंकराचार्यों का राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल न होने की खबर दरअसल ऐसे समय पर आई है, जब कुछ राजनीतिक दलों द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न होने पर मामला पहले से ही गर्म है. बता दें कि, चार शंकराचार्यों में पूर्वाम्नाय जगन्नाथ पुरी के गोवर्धन पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वावी निश्चलानंद सरस्वती और उत्तराम्नाय ज्योतिष्ठीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती हैं, जिनके कार्यक्रम पर कथित तौर पर शामिल नहीं होने की खबर है.
कौन से हैं चार मठ
ये चार पीठ श्री श्रृंगेरी शारदा पीठ, गुजरात का द्वारका शारदा पीठ, उत्तराखंड का ज्योतिर पीठ और ओडिशा का गोवर्धन पीठ हैं, जिसकी स्थापना 18वीं सदी में द्रष्टा आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी.
क्या है शास्त्रीय विधा?
दरअसल अयोध्या में बना राम मंदिर अभी पूर्ण रूप से बनकर तैयार नहीं हुआ है. इसलिए ऐसा कहा जा रहा है कि, अपूर्ण मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा उचित नहीं है. हालांकि वैष्णव संत मंहतों ने राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर कोई खामी नहीं निकाली और कहा कि, देश-दुनिया में वर्तमान में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है और दशकों पहले प्राण-प्रतिष्ठा हो चुकी है.
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