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Ayudha Pooja 2023 Date: आयुध पूजा कब ? दशहरे से पहले इस दिन क्यों होता है शस्त्र पूजन, जानें महत्व

Ayudha Puja 2023 Date: नवरात्रि के दौरान और दशहरा से पहले आयुध पूजा की जाती है. कहते हैं इससे विजय प्राप्ति का वरदान मिलता है. जानें इस साल आयुध पूजा कब है, डेट, मुहूर्त और महत्व

Ayudha Pooja 2023 Kab Hai: हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानि शारदीय नवरात्रि के आखिरी दिन भारत के अलग-अलग राज्यों में कई तरह की परंपराएं निभाई जाती है. इन्हीं में से एक है आयुध पूजा, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है.

आयुध पूजा में शस्त्रों का पूजन किया जाता है, ये परंपरा दशहरा से एक दिन पहले निभाई जाती है, कुछ मान्यता के अनुसार इसे विजयादशमी के दिन भी मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन उपकरण और शस्त्रों की पूजा करने से विजय प्राप्ति का वरदान मिलता है. जानें इस साल आयुध पूजा की डेट, मुहूर्त और महत्व

आयुध पूजा 2023 डेट (Ayudha Puja 2023 Date)

साल 2023 में आयुध पूजा 23 अक्टूबर 2023 को है. आयुध पूजा मुख्य रूप से दक्षिण भारत के कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय पर्व है.

आयुध पूजा 2023 मुहूर्त (Ayudha Puja 2023 Muhurat)

अश्विन शुक्ल नवमी तिथि प्रारम्भ - 22 अक्टूबर 2023, रात 07:58

अश्विन शुक्ल नवमी तिथि समाप्त - 23 अक्टूबर 2023, शाम 05:44

  • आयुध पूजा मुहूर्त - दोपहर 01.58 - दोपहर 04.43

आयुध पूजा क्या है ? (Ayudha Pooja Meaning))

‘आयुध पूजा’ वह दिन है जिसमें हम शस्त्रों को पूजते हैं और उनके प्रति कृतज्ञ होते हैं. क्योंकि इनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है. इस दिन क्षत्रिय अपने शस्त्रों की, शिल्पकार अपने उपकरणों की पूजा करते हैं, कला से जुड़े लोग अपने यंत्रों की पूजा करते हैं. दक्षिण भारत में इस दिन सरस्वती पूजा होती है. 

आयुध पूजा का महत्व (Ayudha Puja Significance)

आयुध पूजा का संबंध मां दुर्गा से है. इसे नवरात्रि में मनाया जाता है. मान्यता है कि दशहरा से पहले आयुध पूजा में शस्त्र, यंत्र और उपकरणों का पूजन करने से हर कार्य में सफलता मिलता है. प्राचीन काल में क्षत्रिय युद्ध पर जाने के लिए दशहरा का दिन चुनते थे, ताकि विजय का वरदान मिले. इसके अलावा पौराणिक काल में ब्राह्मण भी दशहरा के ही दिन विद्या ग्रहण करने के लिए अपने घर से निकलते थे और व्यापारी वर्ग भी दशहरा के दिन ही अपने व्यापार की शुरुआत करना अच्छा मानते थे. यही वजह है कि दशहरे से पहले आयुध पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है.

आयुध पूजा का पर्व कैसे मनाते हैं ?

इस दिन सभी यंत्रों की अच्छी तरह से सफाई कर उनकी पूजा की जाती है. कुछ भक्त देवी का आशीर्वाद लेने के लिए अपनी जीत की उपलब्धियों को यानि अपने उपकरण देवी के सामने रखते हैं.  शस्त्र पूजा के दिन छोटी-छोटी चीज़ें जैसे पिन, चाकू, कैंची, वाद्य यंत्र, हथकल से लेकर बड़ी मशीनें, गाड़ियां, बस आदि सभी को पूजा जाता है.

आयुध पूजा का इतिहास (Ayudha Puja History)

महिषासुर को परास्त करने के लिए समस्त देवताओं ने देवी दुर्गा को अपने-अपने शस्त्र प्रदान किए थे. महिषासुर जैसे शक्तिशाली राक्षस को को हराने के लिए देवों को अपनी समूची शक्तियां एक साथ लानी पड़ी. अपनी दस भुजाओं के साथ मां दुर्गा प्रकट हुईं. उनकी हर भुजा में एक हथियार था. महिषासुर और देवी के बीच नौ दिन तक लगातार युद्ध चलता रहा. दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया. सभी शस्‍त्रों के प्रयोग का उद्देश्‍य पूरा हो जाने के बाद उनका सम्‍मान करने का समय था. उन्‍हें देवताओं को वापस लौटना भी था. इसलिए सभी हथियारों की साफ-सफाई के बाद पूजा की गई, फिर उन्‍हें लौटाया गया. इसी की याद में आयुध पूजा की जाती है

शस्त्र पूजा की सही विधि (Shastra Puja Vidhi)

  • आयुध पूजा वाले दिन स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • अब शुभ मुहूर्त से पहले शस्त्र पूजन की तैयारी करें.
  • पूजा से पहले शस्त्रों की अच्छी तरह सफाई करें. फिर उनपर गंगा जल छिड़कें.
  • इसके पश्चात महाकाली स्त्रोत का पाठ करें.
  • अब अपने शस्त्र पर कुमकुम, हल्दी का तिलक लगाएं. पुष्प चढ़ाएं
  • अब शस्त्र को धूप दिखाकर मिष्ठान का प्रसाद चढ़ाएं और सर्वकार्य सिद्धि का कामना करें.

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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