Bada Mangal 2023 History and Importance: हिंदू धर्म में हर महीने का खास महत्व होता है. इसी तरह ज्येष्ठ का महीना (Jyeshtha Month) हनुमान जी (Hanuman ji) की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना गया है. इस महीने पड़ने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल (Budhwa mangal 2023) के नाम से जाना जाता है.
बड़ा मंगल के दिन हनुमान जी के मंदिरों में कीर्तन-भजन होते हैं और भंडारे का आयोजन भी किया जाता है. बड़ा मंगल में हनुमान जी के वृद्ध स्वरूप की पूजा की जाती है. इस साल ज्येष्ठ महीने का आखिरी बड़ा मंगल 30 मई 2023 को है.
क्या है बड़ा मंगल का इतिहास (Bada Mangal 2023 History)
बड़ा मंगल का पर्व सांप्रदायिक सौहार्द, एकता और हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल भी पेश करता है. इसलिए इस पर्व को गंगा-जमुनी तहजीब का उदाहरण भी माना जाता है. उत्तर प्रदेश के लखनऊ (Lucknow) में बड़ा मंगल को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इतिहासकार पद्मश्री योगेश प्रवीण लखनऊ में बड़ा मंगल का पर्व पर प्रकाश डालते हैं.
इतिहासकार पद्मश्री योगेश प्रवीण की मानें तो लखनऊ में बड़ा मंगल मनाने की परंपरा की शुरुआत 400 साल पहले मुगल शासक नवाब मोहम्मद अली शाह (Nawab Mohammad Ali Shah) के समय हुई. कहा जाता है कि नवाब मोहम्मद अली शाह के बेटे की तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई. कई जगहों पर बेटे का इलाज कराने के बाद भी तबियत में कोई सुधार नहीं हुआ. तब कुछ लोगों ने नवाब मोहम्मद अली शाह की बेगम रूबिया को लखनऊ के अलीगंज में स्थिति प्राचीन हनुमान मंदिर (Prachin Hanuman Mandir) जाने और बेटे की सलामती की दुआ मागंने को कहा.
इसके बाद नवाब मोहमम्द शाह अली और बेगम अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर गए. उन्होंने मंदिर में पूजा-पाठ कर बेटे के ठीक होने की दुआ मांगी. कुछ दिन बाद बेटे की तबियत में सुधार आ गया और धीरे-धीरे बेटा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया. इस खुशी में नवाब और बेगम ने अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर की मरम्मत कराई. मंदिर का काम ज्येष्ठ महीने में पूरा हो गया. इसके बाद उन्होंने पूरे शहर में गुड़ का शरबत और प्रसाद बांटा. तब से ही लखनऊ शहर में बड़ा मंगल मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई.
बड़ा मंगल से जुड़ी अन्य धार्मिक मान्यताएं
- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि, भगवान राम और हनुमान जी की पहली मुलाकात ज्येष्ठ के महीने में मंगलवार के दिन ही हुई थी. इसलिए इस महीने के हर मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है.
- बड़ा मंगल मनाने से जुड़ी एक धार्मिक मान्यता यह भी कि, ज्येष्ठ महीने के पहले मंगलवार के दिन लक्ष्मण जी ने लखनऊ शहर को बसाया था और पहली बार उन्होंने ही बड़ा मंगल मनाने की परंपरा की शुरुआत की थी. इसके बाद से आज तक लखनऊ में बड़ा मंगल मनाने की की परंपरा चलती आ रही है.
- कुछ जानकारों के अनुसार, 1584 में मेडिकल कॉलेज चौराहा स्थित छांछी कुआं हनुमान मंदिर से बड़ा मंगल की शुरुआत हुई थी. ऐसी मान्यता है कि इसी मंदिर के भीतर ज्येष्ठ महीने के मंगलवार के दिन गोस्वामी तुलसीदास जी को हनुमान जी ने साक्षात दर्शन दिए थे. कहा जाता है कि तुलसीदास ने ही इस परंपरा की शुरुआत की थी, जो आज तक चली आ रही है.
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