Mahima Shanidev Ki: शनिदेव ने सूर्यलोक से कल्पवृक्ष चुराने आए देवों को दी थी पहली सजा, तिनके से किया था ढेर
Mahima Shanidev Ki: मां छाया के लालन-पालन में बड़े हो रहे शनिदेव ने पहली सजा देवताओं को दी, जबकि दो देवगण घूमते हुए कल्पवृक्ष के पास पहुंचे और उसे स्वर्ग ले जाने के लिए काटने लगे.
Mahima Shanidev Ki: शनिदेव की महिमा बालकाल से ही दिखने लगी थी. सूर्यलोक में रहते हुए भी वहां अनाचर का प्रयास करने वाले देवगणों को कर्म का फल देने लगे थे. न्याय और कर्मफलदाता की शक्ति के रूप में उत्पन्न शनिदेव ने बिना दिव्यदंड प्राप्त किए पहली सजा लोभ, चोरी के अपराध के लिए देवगणों को दी थी, जिसके बाद देवताओं के साथ-साथ दानवों में भी हड़कंप मच गया. कहां इस शक्ति को नियंत्रण में लेने की होड़ थी और अब इससे छल कपट करने वालों को भागने की नौबत आ गई.
सूर्यलोक स्थित कल्पवृक्ष को देखकर दंग देवगण उसे स्वर्ग ले जाने के लिए काटने लगे. इसी दौरान वहां आकर बाल रूप शनिदेव ने पहले तो देवगणों को समझाया, लेकिन नहीं मानने पर एक तिनके से उन्हें ढेर कर दिया. यह देखकर उनका साथी जान बचाने के लिए भागा, लेकिन उसे सबक सिखाते हुए उसे बचाने के प्रयास में शनिदेव सूर्य से मिला आशीर्वाद और शर्त भूल गए. उनका हाथ किरणों में आ गया और हाथ झुलस गया.
तीनों लोकों में शुरू हुई शक्ति की खोज
महादेव के कथन के बाद देव और दानव दोनों की तीसरी शक्ति के तौर पर शनिदेव की तलाश में जुट गए, उनकी मंशा थी कि पहले उसे शक्ति को अपने नियंत्रण में कर न्याय पर अधिकार प्राप्त कर वह स्वर्गलोक पर कब्जा कर लें. इस बीच देवगण और राक्षसों के गुप्तचर शनिदेव की तलाश में जुट गए. इसी तलाश में कुछ देवगण सूर्यलोक के उस जंगल तक पहुंच गए, जो पिता तिरस्कार के चलते मां छाया के साथ जंगल में सूर्य की किरणों से दूर रह रहे थे.
न भूलगें, न माफ करेंगे
शनिदेव ने सबक सिखाने के बाद भाग रहे देवताओं को चेतावनी दी कि वह अगली बार कोई पाप करने पर न भूलेंगे न माफ करेंगे.
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