Balaram Jayanti 2021 Puja Vidhi: हिंदू धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के साथ ही बलराम जयंती का भी महत्व है. बलराम जयंती के दिन पुत्रवती महिलाएं अपने पुत्रों की लंबी आयु और आर्थिक संपन्नता के लिए लिए व्रत रखकर भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम की पूजा –अर्चना करती है. हिंदी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलराम जयंती मनाई जाती है. जबकि भगवान श्री कृष्ण की जयंती अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. जन्माष्टमी का पर्व अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल बलराम जयंती 28 अगस्त 2021 को मनाई जाएगी.
बलराम जी मूसल और हल धारण करते हैं. इस लिए इन्हें हलधर भी कहा जाता है. भारत के पूर्वी क्षेत्र में भादों कृष्ण षष्ठी को ललई छठ के नाम से भी जाना जाता है.
बलराम जयंती शुभ मुहूर्त
- भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारम्भ : 27 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार को शाम 06 बजकर 48 मिनट से
- भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि की समाप्ति: 28 अगस्त 2021 दिन शनिवार को शाम 8:56 बजे तक
- बलराम जयंती व्रत व पूजन : 28 अगस्त 2021 को.
बलराम जयंती व्रत पूजा विधि: इस दिन पुत्रवती महिलाएं सुबह स्नान आदि करके व्रत और पूजा का संकल्प लेती है. षष्ठी पूजा में कांटेदार या पलास की एक छोटी टहनी जमीन में या गमलें में गाड़ कर उसकी विधि-विधान से पूजा करती है. इसके पूजन में पलास के पत्ते पर महुवा का फूल और भैंस के दूध से बनी दही को रखकर पूजा करती हैं. पूरा दिन निर्जला व्रत रहकर शाम को शुभ मुहूर्त में महुवा का फूल और भैंस के दूध की दही को खाकर निर्जला व्रत का पारण करती हैं.
धार्मिक मान्यता है कि षष्ठी व्रत से पुत्रों के जीवन में सुख, शांति, धन, यश आदि की प्राप्ति होती है. उन्हें लंबी आयु मिलती है और बलराम की तरह वे बलशाली होते हैं. इसीलिए महिलाएं इस व्रत को पूरे श्रद्धा भाव से रखती हैं.