Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी पर करें विधिपूर्वक पूजा, जरूर पढ़ें सरस्वती वंदना
Basant Panchami 2023: माघ शुक्लपक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व होता है. इस दिन ज्ञान, विद्या और कला की देवी माता सरस्वती की पूजा-अराधना की जाती है.
Basant Panchami 2023, Saraswati Puja Vidhi and Katha: विद्यार्थी, साहित्य और कला क्षेत्र से जुड़े लोगों को बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक की गई पूजा कभी विफल नहीं होती है और मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही मां सरस्वती की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और एकाग्रता बढ़ती है.
बसंतोत्सव नवीन ऊर्जा देने वाला उत्सव है. इस दिन से शिशिर ऋतु के असहनीय सर्दी से मुक्ति मिलने का मौसम आरंभ हो जाता है. प्रकृति में परिवर्तन आता है और जो पेड़-पौधे शिशिर ऋतु में अपने पत्ते खो चुके थे वे पुनः नव-नव पल्लव और कलियों से युक्त हो जाते हैं.
बसंतोत्सव माघ शुक्ल पंचमी से आरंभ होकर होलिका दहन तक चलता है. कहा जाता है कि वसंत पंचमी के दिन जैसा मौसम होता है, होली तक ठीक ऐसा ही मौसम रहता है. जानते हैं बसंत पंचमी पर कैसे करें मां सरस्वती की पूजा विधि, मुहूर्त और कथा के बारे में.
बसंत पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी 2023 की दोपहर 12:34 मिनट से होगी और 26 जनवरी 2023 को सुबह 10:28 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक, बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनाई जाएगी. वहीं पूजा के लिए 26 जनवरी सुबह 07:12 मिनट से लेकर दोपहर 12:34 मिनट तक का समय शुभ रहेगा. पूजा के लिए कुल अवधि 5 घंटे तक होगी.
सरस्वती पूजा विधि
पूजा के लिए सुबह उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहन लें. फिर मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें. अब रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें. पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को अर्पित करें. मां सरस्वती की वंदना का पाठ करें. विद्यार्थी चाहें तो इस दिन मां सरस्वती के लिए व्रत भी रख सकते हैं.
या कुंदेंदुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।
या ब्रहमाऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि: देवै: सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती, नि:शेषजाड्यापहा।।
पूजा में मां सरस्वती के इस श्लोक से मन से ध्यान करें. इसके पश्चात ’ओम् ऐं सरस्वत्यै नम:’ का जाप करें और इसी लघु मंत्र को नियमित रूप से विद्यार्थी वर्ग प्रतिदिन मां सरस्वती का ध्यान करें. इस मंत्र के जाप से विद्या, बुद्धि, विवेक बढ़ता है.
बसंत पचंमी कथा
बसंत पंचमी की धार्मिक और पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी. इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं.
उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी. तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था. यह देवी थीं मां सरस्वती. मां सरस्वती ने जब वीणा बजाया तो संस्सार की हर चीज में स्वर आ गया. इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती. यह दिन था बसंत पंचमी का. तब से मां सरस्वती की पूजा होने लगी.
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