Basant Panchami 2023: माघ माह के शुक्ल पक्ष की बसंत पंचमी को देवी सरस्वती के जनमोत्सव के रूप में मनाया जाता है. जिस तरह दिवाली पर धन और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी, नवरात्रि में शक्ति प्राप्त करने के लिए देवी दुर्गा की पूजा की जाती है उसी तरह ज्ञान, बुद्धि, विद्या, कला और मधुर वाणी का आशीर्वाद पाने के लिए बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की आराधना की जाती है.
धार्मिक मान्यता है कि देवी सरस्वती जिस पर मेहरबान हो जाएं उस शिक्षा, कला, संगीत और साहित्य से जुड़े सभी कार्य बिना विघ्य के पूरे हो जाते हैं और वह इन क्षेत्रों में खूब तरक्की करता है. आइए जानते हैं बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा और हवन समाग्री.
बसंत पंचमी पूजा समाग्री (Basant Panchami Puja Samagri)
26 जनवरी 2023 को बसंत पचंमी का त्योहार मनाया जाएगा. बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए पूजा में कुछ खास चीजें जैसे पीला कमल आदि जरुर शामिल करें. इसके लिए अभी से सरस्वती पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें ताकि पूजा में कोई अवरोध न आए.
सरस्वती पूजा सामग्री (Saraswati Puja Samagri)
- पूजा की चौकी, चौकी पर बिछाने के लिए पीला कपड़ा, कुश का आसन
- मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर, गणेश प्रतिमा, दूर्वा, सुपारी
- पीले अक्षत, हल्दी, कुमकुम, आम या मंगिफेरा के पत्ते, कलश, पीले वस्त्र
- केसर मिश्रित पीला चंदन, अष्टगंध, गंगाजल, मौली, धूप, कपूर, घी, गेंदे के फूल की माला
- सफेद या पीला कमल, केसर, नारियल, गुड़, पंचामृत
- कलम, पुस्तक, वाद्य यंत्र, केला, सिंदूर, सिक्का
- भोग - बेसन लड्डू, राजभोग, केसर भात, सफेद बर्फी, मालपुआ, बूंदी, सफेद तिल के लड्डू
बसंत पंचमी पर हवन सामग्री (Saraswati Hawan Samagri)
- हवन कुंड, आम की समधिया, चंदन की लकड़ी,
- मुलैठी की जड़, बेल, नीम, पलाश, पीपल की छाल
- नवग्रह की नौ समिधा - आक, ढाक, कत्था, चिरचिटा, पीपल, गूलर, जांड, दूब, कुशा
- गूलर की छाल, पीले अक्षत, तिल, गुग्गल,
- गाय का घी, सूखा नारियल, शक्कर
- जौं, लाल रंग का कपड़ा, रक्षा सूत्र, पंचमेवा, कलावा
- पान का पत्ता, लौंग, इलायची, कपूर
सरस्वती पूजा हवन विधि और मंत्र (Saraswati Hawan Vidhi and Mantra)
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा के बाद हवन का विधान है, कहते हैं हवन से पूजन पूर्ण माना जाता है और इसका शीघ्र फल प्राप्त होता है. मां सरस्वती के समझ गंगाजल से स्थान को पवित्र करें और हवन कुंड स्थापित करें. अब हव्य (जल सकने वाला पर्दार्थ) को एक थाली में मिलाकर रख लें.
आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करें. हवन में सर्वप्रथम ‘ऊं गं गणपतये नम:’ स्वाहा मंत्र से गणेशजी एवं ‘ऊं नवग्रह नमः’ स्वाहा मंत्र से नवग्रह का स्मरण करें. इसके बाद ‘ॐ सरस्वतयै नमः स्वहा’ मंत्र के साथ हव्य और घी को कुंड में डालें. ऐसा 108 बार करें. अंत में नारियल पर मोली लपेट कर उसके ऊपर घी लगाएं और हवन कुंड में पूर्णाहुति दें. देवी सरस्वती की आरती करें इसके बाद हवन की भभूत का तिलक कर प्रसाद बांटें.
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