Basant Panchami 2024: माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इसे श्री पंचमी और माघ पंचमी भी कहा जाता है. ये पर्व विद्या, कला, संगीत की देवी मां सरस्वती को समर्पित है.


इस दिन साहित्य, शिक्षा, कला इत्यादि के क्षेत्र से जुड़े लोग पूजा कर मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस दिन से विद्यारंभ संस्कर करना बेहद शुभफलदायी होता है. बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है, इस दिन का मां सरस्वती से क्या है संबंध, जानें.


बसंत ऋतु का आरंभ


हिंदू परंपराओं के अनुसार पूरे वर्ष को छह ऋतुओं में बांटा गया है, जिसमें बसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु शामिल हैं. इन ऋतुओं में से बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है. मान्यता है माघ शुक्ल पंचमी से बसंत ऋतु का आरंभ हो जाता है. इस ऋतु में मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों में भी नई चेतना का संचार होता है.


कैसे हुई बसंत पंचमी की शुरुआत


पौराणिक मान्यता है कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी ने जब जीवों और मनुष्यों की रचना तब संसार में चारों ओर सुनसान दृश्य था, संसार निर्जन ही दिखाई दिया. वातावरण बिल्कुल शांत था, कोई वाणी नहीं थी. ब्रह्मा जी ने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का. पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई. जिनके हाथ में वीणा, माला और पुस्तक थी. मां सरस्वती ने अपनी वीणा से वसंत राग छेड़ा. इसके फलस्वरूप सृष्टि को वाणी और संगीत की प्राप्ति हुई. देवी ने वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धी दी, जिससे संसार को ज्ञान का प्रकाश मिला. जिस दिन देवी सरस्वती प्रकट हुई उस दिन माघ शुक्ल पंचमी तिथि थी, इसलिए बसंत पंचमी के दिन घर में मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है.


बसंत पंचमी पर पीले रंग का महत्व


बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. फसलें पकने लगती हैं, फूलों का सौंदर्य पृथ्वी की सुंदरता बढ़ाता है इसलिए ऊर्जा का रूप कहे जाने वाले पीले रंग की प्रधानता बसंत पंचमी पर्व से शुरू हो जाती है. इस दिन पीला पहनने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है.


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