Basant Panchami Puja Highlights: बसंत पंचमी आज, पूजा का शुभ मुहूर्त शुरू,जानें सरस्वती पूजा की विधि और महत्व
Basant Panchami Puja Live: माघ शुक्ल की पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है. देवी सरस्वती की पूजा के लिए यह दिन बहुत शुभ होता है. जानें आज बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, मंत्र और विशेष बातें.
इस दिन भूलकर भी काले रंग के वस्त्र ना पहने. इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है. अगर आप पीला रंग नहीं पहन पाएं, तो अन्य कोई रंग भी पहन सकते हैं, लेकिन काला रंग पहनने से परहेज करें. मां सरस्वती को पाला रंग अति प्रिय है. इस दिन पीली चीज का भोग अवश्य लगाएं.
बसंत पंचमी के दिन किसी भी तरह के पेड़-पौधों को काटना नहीं चाहिए. इस फसल की कटाई भी नहीं करनी चाहिए. इस कार्य को शुभ नहीं माना जाता है.

बसंत पंचमी के दिन पढ़ाई से जुड़ी चीजों का दान करें.
जरुरतमंदों को धन और अन्न का दान करें.
पीली चीजों को दान करें.
बसंत पंचमी का दिन शिक्षा की शुरुआत से लिए सबसे उत्तम दिन माना गया है. इस दिन बच्चों को पहली बार अक्षर ज्ञान या स्लेट, पेंसिल या कलम पकड़ाकर विद्या की शुरुआत कराते हैं. यह दिन शिक्षा के शुभारंभ के लिए शुभ माना गया है. इस दिन शुरू की गई शिक्षा जीवनभर फलदायी होती है.
बसंत पंचमी का पर्व माघ माह के पंचमी तिथि को मनाया जाता है. आज बसंत पंचमी के दिन पूजा के शुभ मुहूर्त दोपहर 12:35 तक ही रहेगा. कुछ समय शेष है इस दौरान आप भी मां सरस्वती की वंदना कर सकते हैं.
सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादिनी, हंसवाहिनी, और बाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का प्रागट्य हुआ था. इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की विशेष पूजा-आराधना की जाती है. मां सरस्वती की उत्पत्ति के पीछे कथा है जिसके अनुसार, जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तब समूची सृष्टि में कोई भी स्वर या ध्वनि नहीं थी. तब उन्होंने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का. जल की बूंदों से 6 भुजाओं वाली देवी प्रगट हुई, जिनके हाथों में वीणा, माला, वेद, पुष्प और कमंडल थी.
ज्योतिष में बसंत पंचमी के दिन को अबूझ मुहूर्त माना गया है. क्योंकि आज पूरे दिन दोषरहित योगों का निर्माण होता है. जोकि विवाह और सभी तरह के मांगलिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ होता है. इस दिन आप नए कार्य की शुरुआत, शादी-विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, विद्यारंभ संस्कार जैसे कार्य कर सकते हैं.
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥2॥
- धार्मिक पुस्तकें
- पीले रंग के फल व मिष्ठान
- किताबें और कलम
- कपड़ों का दान
पीले फूल, चौकी, केला, घी, भोग के लिए मालपुआ या मीठे चावल, फूलों की माला, पीले रंग का कपड़ा ,कलश,अक्षत, सफेद तिल के लड्डू,रोली, सिंदूर,पीले रंग की चुनरी, सफेद मिष्ठान,आम के पत्ते,कुमकुम,इत्र,धूपबत्ती,हल्दी, माचिस, जल से भरा एक कलश आदि.
- ज्ञान ही सफलता की पहली सीढ़ी है
- पीली रंग से संपन्नता का आगमन
- परिवर्तन से मेहनत का फल
- शांति और सुकून का संदेश
- शुद्धता का संदेश
बसंत पंचमी पर आज मांस मदिरा का सेवन ने करें
काले रंग के कपडे न पहने.
देवी सरस्वती को तामसिक भोग न लगाएं.
अपनी पुस्तके किसी दूसरे को ना दें.
बसंत पंचमी पर आज मां सरस्वती को लड्डू, मीठे चावल,केलर, बेर आदि जैस भोग लगा सकते हैं.
बसंत पंचमी पर आज देवी सरस्वती की पूजा के लिए सुबह 7:19 से दोपहर 12:35 तक का समय सबसे शुभ रहेगा.
बसंत पंचमी पर आज 2 फरवरी 2025 को सरस्वती पूजा का पर्व मनाया जाएगा और देवी सरस्वती की उपासना की जाएगी.
बैकग्राउंड
Basant Panchami Puja Live: हिंदू धर्म में बसंत पंचमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जोकि माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. देशभर के विभिन्न क्षेत्र और समुदाय के लोग इसे अलग-अलग तरीके से मनाते हैं. साथ ही यह बसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक माना जाता है. इस दिन ज्ञान, विद्या, बुद्धि, कला, संगीत और रचनात्मकता की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. घर, मंदिर, पूजा पंडाल, स्कूल और कॉलेज में इस दिन सरस्वती पूजा का भव्य आयोजन होता है. बसंत पंचमी को लेकर ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं.
आज बसंत पंचमी पर पूजा का मुहूर्त
बसंत पंचमी का त्योहार आज रविवार 2 फरवरी 2025 को मनाया जा रहा है. आज सुबह 9:14 से पंचमी तिथि की शुरुआत हो जाएगी, जिसका समापन 3 फरवरी सुबह 6:52 पर होगा. 2 फरवरी को आज पूजा के लिए 7:09 से दोपहर 12:35 तक का समय बहुत शुभ रहेगा. इस दिन वैसे तो सभी लोगों को देवी सरस्वती की पूजा कर ज्ञान का आशीर्वाद लेना चाहिए. लेकिन खासकर विद्यार्थी और कला क्षेत्र से जुड़े लोगों को देवी सरस्वती की पूजा आराधना अवश्य करनी चाहिए.
धार्मिक मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन आदिशक्ति से देवी सरस्वती का अवतरण हुआ था. इन्हें वीणावादिनी, भगवती, शारदा, बाहीश्वरी और बाग्देवी समेत कई नामों से जाना जाता है। देवी सरस्वती को पीला और श्वेत रंग अति प्रिय है जोकि पवित्रता और सकारात्मक का प्रतीक है. देवी हंस और मोर की सवारी करती हैं. मोर और हंस दोनों सुंदरता और नृत्य को दर्शाते हैं. हंस की सवारी करने के कारण मां सरस्वती के कई नामों में एक नाम हंसवाहिनी भी है. देवी सरस्वती कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. कमल के फूल को ज्ञान और पवित्रता का प्रतीक माना गया है. साथ ही देवी के हाथों में वीणा और वेद सुशोभित होते हैं. शास्त्रों के अनुसार वीणा और वेद विद्या, ज्ञान संगीत नृत्य और कला को प्रदर्शित करते हैं.
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