हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या का प्रमुख मंदिर है. मान्यता है कि अयोध्या में भगवान राम के दर्शन करने से पहले उनके सबसे प्रिय भक्त हनुमानजी के दर्शन और उनकी आज्ञा लेना जरूरी है. माना जाता है कि हनुमानजी से अनुमति लिए बिना और पूजा किए राम के दर्शन और पूजन का लाभ नहीं मिलता.
अयोध्या में कल रामजन्म भूमि निर्माण के लिए भूमि पूजन किया जाएगा. पीएम मोदी इस कार्यक्रम में शामिल होने बुधवार को अयोध्या आ रहे हैं. पीएम मोदी भूमि पूजन करने से पहले अयोध्या के राजा हनुमानजी के दर्शन और उनकी आज्ञा लेंगे.
यह मंदिर एक टीले पर बसा है. श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए करीब 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. मंदिर की दीवारों पर हनुमान चालीसा की चौपाइया लिखी हुई हैं.
हनुमानगढ़ी मंदिर में बाल हनुमानजी की प्रतिमा है. यह प्रतिमा 6 इंच की है. हनुमान जी के साथ उनकी माता अंजनी भी है. जो मंदिर परिसर में मां अंजनी की गोद में हैं.
यहां हुआ था हनुमान जी का राजतिलक
धार्मिक मान्यता है कि प्रभु राम ने हनुमानगढ़ी में राजा के रूप में विराजमान हनुमान जी का राजतिलक किया था. भगवान राम ने हनुमानजी की सेवा और भक्ति से प्रसन्न होकर कहा था कि जो भी भक्त अयोध्या में मेरे दर्शन के लिए आएगा उसे सबसे पहले हनुमान के दर्शन, पूजा और अनुमति लेनी होगी.
भगवान राम लंका विजय के बाद जब अयोध्या लौटे तो हनुमान जी ने यहीं रहना शुरू किया. इसी कारण इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट पड़ा। यहीं से हनुमान जी रामकोट की रक्षा करते थे।
वाजिद अली शाह ने किया था मंदिर का जीर्णोद्धार
इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। बाद में नवाब वाजिद अली शाह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। कहा जाता है कि वाजिद अली शाह को कुष्ठ रोग हो गया था तभी उन्हें बताया गया कि हनुमानपीर पर एक अभयरामदास नाम का फकीर रहता है जिससे उन्हें मिलना चाहिए. वाजिद अली ने शाह ने ऐसा ही किया और अभयरामदास से मुलाकात की.
अभरामदास ने वाजिद अली शाह के सिर पर चिमटे से मारा और उन्हें चले जाने के लिए कहा. जैसे ही वाजिद अली शाह हनुमानगढ़ी से निकले उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया.
इसके बाद वाजिद अली शाह ने हनुमानगढ़ी का जीर्णोद्धार करने का फैसला किया लेकिन अभरामदास ने उन्हें आसानी से इसकी इजाजत नहीं, काफी कोशिशों के बाद वह मरम्मत कार्य के लिए राजी हुए थे.
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