Importance of Bel Patra: आदि देव शंकर को सृष्टि के संघारक के रूप में जाना जाता है. इन को प्रसन्न रखने के लिए पूजा अर्चना की जाती है. भगवान शंकर को भोलेनाथ भी कहा जाता है. यह सिर्फ मंत्र जाप और जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं. भगवान शंकर को शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है. धतूरा बेल पत्र आदि लेकर भगवान शंकर की पूजा अर्चना की जाती है. प्रकृति में मिलने वाले प्रत्येक पौधे का अपना एक विशेष स्थान है. चाहे वह बरगद का वृक्ष हो, चाहे नीम का पेड़ हो, चाहे बेल का पेड़ हो, हर एक पेड़ की अपनी एक महत्ता है. शिव के पूजन में बेलपत्र का उपयोग किया जाता है.
बेलपत्र चढ़ाने में सावधानियां
कण कण में विराजमान आदि देव शंकर को प्रसन्न करने के लिए शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए. इसके लिए धतूरा, मदार और बेल पत्र लेकर जाएं और विधिवत पूजा अर्चना करें. एक-एक करके धतूरा और मदार का फल समर्पित करें.
- शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले बेलपत्र 3, 5 या 7 की संख्या में होने चाहिए. सम संख्या में बेलपत्र वाली डंडी भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए.
- विषम संख्या में बेलपत्र को पानी में डालकर उसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर शुद्ध कर लें. उसके बाद उस बेलपत्र को निकालकर उस पर रोली या चंदन से ऊं लिखें. इस तरह से तैयार किए गए बेलपत्र को शिव के ऊपर चढ़ाएं.
- बेल पत्रों की माला बना करके भी शिवलिंग पर चढा सकते हैं. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होता है.
- भगवान शिव को बेल, धतूरा, मदार और बेलपत्र अति प्रिय है. इसे पानी में गंगा जल मिला करके शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है.
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