बंगाली समुदाय के लिए बैसाख माह का पहला दिन बहुत खास महत्व रखता है. इस दिन बंगाली समुदाय के नववर्ष की शुरुआत होती है. बंगाल में इसे पोइला बोइशाख के नाम से जानते हैं. ये पर्व 15 अप्रैल के दिन मनाया जाता है. इस दिन बंगाली लोग एक-दसूरे को गले मिलकर नए साल की शुभकामनाएं शुभो नोबो बोरसो कहकर देते हैं. इसका अर्थ होता है, नया  साल मुबारक हो. 


बंगाल में वैशाख का महीना बहुत शुभ माना गया है. इस माह में सभी शुभ कार्य दैसे शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, घर खरीदना आदि जैसे कार्य किए जाते हैं. इतना ही नहीं, इस दिन कई जगह पर मेलों का आयोजन किया जाता है. 


यूं मनाते हैं पोइला बोइशाख


बंगाली समुदाय के लोग इस दिन घरों की साफ-सफाई करते हैं. नए कपड़े पहनकर पूजा करते हैं. बिजनेस-व्यापारी लोग इस दिन लेखा-जोखा शुरू करते हैं. घर पर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. लोग एक-दूसरे के घर जाकर उन्हें नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं. इस दिन मंदिर के दर्शन करना और बड़ों का आशीर्वाद लेने की परंपरा है. साथ ही इस दिन गौ माता की पूजा का भी विधान है. 


पोइला बोइशाख शुभ मूहूर्त


बंगाली युग 1429 प्रारम्भ


पोइला बोइशाख आरंभ- 15 अप्रैल, 2022 (शुक्रवार) 


पोइला बैसाख के दिन बनते हैं पकवान


मान्यता है कि इस दिन पारंपरिक पोशाक पहनते हैं. इतना ही नहीं, इस दिन घरों में पारंपरिक व्यंजन भी तैयार किए जाते हैं. इस दिन घरों में प्याज, हरी मिर्च और फ्राइड हिल्सा फिश खाते हैं. इसे पांत भात भी कहा जाता है. इस दिन रसोगुल्ला, मांस, मछली, कई प्रकार के छेने की मिठाइयां आदि भी मेहमानों के सामने परोसी जाती हैं. 


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