Bhadrapad Purnima Shradh 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा 10 सितंबर 2022 को है. पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधाना है. भाद्रपद मास की पूर्णिमा से ही श्राद्ध पक्ष भी शुरू हो जाते हैं, इसलिए इसे श्राद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन स्नान, दान, पूजा-पाठ के अलावा पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किए जाते हैं. आइए जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा का मुहूर्त, महत्व


भाद्रपद पूर्णिमा 2022 मुहूर्त (Bhadrapad Purnima 2022 Muhurat)


भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 09 सितंबर 2022 को शाम 06 बजकर 07 मिनट से प्रारंभ होगी, पूर्णिमा तिथि का समापन 10 सितंबर 2022 शनिवार को दोपहर 03 बजकर 28 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार पूर्णिमा का व्रत 10 सितंबर 2022 को रखा जाएगा.


पूजा का शुभ मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक


चंद्रोदय समय- शाम 06 बजकर 49 मिनट से


भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध का मुहूर्त (Shradh Purnima 2022 Time)


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृपक्ष का भाग नहीं होता है. जिनकी मृत्यु तिथि पूर्णिमा होती है उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जाता है. कोई इस दिन श्राद्ध कर्म करना चाहे तो इमुहूर्त के अनुसार सुबह 11:59 से शाम 04:08 तक कर सकता है.


भाद्रपद पूर्णिमा महत्व (Bhadrapad Purnima Shradh significance)


पूर्णिमा तिथि पर सत्यनारायण की पूजा करना उत्तम फलदायी मान गया है. कलयुग में सत्यनारायण देव की उपासना से व्यक्ति को धन प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. पूर्णिमा पर व्रत कर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने या सुनने से इंसान मोक्ष को प्राप्त करता है. उनके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. सारे कष्ट दूर होते हैं. भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर का व्रत भी किया जाता है. इसमें शंकर पार्वती की पूजा करने से पिछले जन्म के पाप और दोष खत्म हो जाते हैं.


Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि घटस्थापना से लेकर कन्या पूजन तक की संपूर्ण जानकारी यहां पढ़ें


Chanakya Niti: इस परिस्थिति में मनुष्य हारी हुई बाजी भी जीत जाता है, मिलती है वाह-वाही


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.