Shani Pradosh Vrat 2024: अगस्त में शनि प्रदोष व्रत कब ? शनि की पीड़ा से मुक्ति पाने का शुभ अवसर न गवाएं, जानें डेट
Shani Pradosh Vrat 2024: शनि के कष्टों से तंग आ गए हैं, आर्थिक, मानसिक रूप से परेशान हैं तो शनि प्रदोष व्रत में शिव पूजन और एक खास उपाय कर लें. जानें भाद्रपद का शनि प्रदोष व्रत कब है
Shani Pradosh Vrat 2024: भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत बहुत खास माना जा रहा है, क्योंकि ये शनि प्रदोष व्रत होगा. जिन लोगों की कुंडली में शनि की महादशा (Shani mahadasha) चल रही है, साढ़ेसाती (shani sade sati) और ढैय्या (Dhaiya) के अशुभ प्रभाव से वह पीड़ित हैं तो शनि प्रदोष व्रत के दिन शिव-शनि (Shani dev) की पूजा जरुर करें, मान्यता है ये दिन शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है.
'प्रदोषो रजनीमुखम' रात्रि के प्रारंभ की बेला प्रदोष नाम से संबोधित की जाती है. रात्रि शिव को विशेष प्रिय है. शिव पूजा से शनि की पीड़ा से छुटकारा मिलता है. जानें अगस्त में भाद्रपद माह का शनि प्रदोष व्रत कब है.
भाद्रपद का शनि प्रदोष व्रत 2024 कब ? (Bhadrapada Shani Pradosh Vrat 2024 Date)
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष का शनि प्रदोष व्रत 31 अगस्त 2024 को है. इस दिन शिव पूजन संध्याकाल में करने का विधान है. इस दिन शाम को भोलेनाथ रुद्राभिषेक जरुर करें. कहते हैं इससे आर्थिक, मानसिक और शारीरिक परेशानियों से निजात मिलती है.
शनि प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त (Shani Pradosh Vrat 2024 Muhurat)
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 31 अगस्त 2024 को प्रात: 02 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 1 सितंबर 2024 को प्रात: 03 बजकर 40 मिनट पर इसका समापन होगा.
- पूजा मुहूर्त - शाम 06.44 - रात 09.01 (31 अगस्त 2024)
शनि प्रदोष व्रत देता अनंत सुख
धर्मशास्त्रानुसार प्रदोष अथवा त्रयोदशी का व्रत मनुष्य को संतोषी एवं सुखी बनाता है. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से सुहागन स्त्रियों का सुहाग अटल रहता है. ये व्रत अनंत सुख प्रदान करने वाला माना गया है. शनि प्रदोष व्रत 100 गौ दान करने के समान फल देता है. निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है.
शनि दोष से मुक्ति के लिए प्रदोष व्रत में क्या करें
शनि की पीड़ा से मुक्ति पाना चाहते हैं, साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव कम करना है तो शनि प्रदोष व्रत के दिन शाम को मिट्टी के शिवलिंग बनाकर शिवलिंग पर जल में काला तिल डालकर अर्पित करें. गंध, मदार पुष्प, बिल्वपत्र, धूप-दीप तथा नैवेद्य से पूजन करें. अब 5 बेलपत्र में चंदन लगाकर एक-एक कर शिव जी पर चढ़ाएं और उनकी पांचों पुत्री जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि का नाम लें.
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