Bhai Dooj 2021: गोवर्धन से अगले दिन मनाया जाता है भाई दूज, इस दिन बहनें क्यों करती हैं भाई को तिलक? जानें, तिथि और शुभ मुहूर्त
Bhai Dooj 2021: हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज 2021 का त्योहार मनाया जाता है. पांच दिवसीय दिवाली के त्योहार का समापन भाई दूज के दिन होता है.
Bhai Dooj 2021: हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि (Kartik Month Dwitiya Tithi) को भाई दूज 2021 (Bhai Dooj 2021) का त्योहार मनाया जाता है. पांच दिवसीय दिवाली (Diwali 2021) के त्योहार का समापन भाई दूज के दिन होता है. गोवर्धन (Govardhan 2021) के अगले दिन भाई दूज पर्व मनाया जाता है. भाई दूज को यम द्वितीया (Yam Dwitiya) भी कहते हैं. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के पूजन (Yamraj and Yamina Pujan) का विधान है. राखी के त्योहार की ही तरह इस दिन बहनें भाई के तिलक कर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं. इस दिन भाई बहनों से मिलने घर जाते हैं और तिलक करवाते हैं. बहनें तिलक करते समय उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं, तो वहीं भाई भी बहन को गिफ्ट देकर अपना प्यार जताते हैं. इस साल भाई दूज का त्योहार 6 नवंबर 2021 (Bhai Dooj 6 November 2021) को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त और पौरणिक कथा के बारे में.
भाई दूज तिथि और शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj Tithi And Shubh Muhurat 2021 )
भाई दूज पर्व का भी हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. भाई-बहन के प्यार का प्रतीक ये पर्व इस बार 6 नवंबर को मनाया जाएगा. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. बता दें कि इस साल द्वितिया तिथि 05 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर, 06 नवंबर को शाम 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. ऐसे में द्वितीया तिथि 06 नवंबर को मानी जाएगी. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भाई दूज के दिन भाईयों को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दिन में 01 बजकर 10 मिनट से लेकर 03 बजकर 21 मिनट बजे तक है. बहने भाइयों को इस शुभ मुहूर्त के बीच में तिलक कर लें तो शुभ होगा.
भाई दूज की पौराणिक कथा (Bhai Dooj Katha 2021)
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान धर्मराज यम और यमुना थे. लेकिन भगवान सूर्य के तेज को सहन न कर पाने के कारण उनकी पत्नी संध्या देवी अपनी संतानों को छोड़ कर मायके चली गईं. और जाते समय अपनी प्रतिकृति छाया को भगवान सूर्य के पास छोड़ गईं. यमराज और यमुना छाया की संतान न होने के कारण मां के प्यार से वंचित रहते थे. मां का प्यार न सही लेकिन दोनों ही भाई बहन में आपस में खूब प्यार था. यमुना की शादी होने बाद वे भाई यम को कई बार अपने घर बुलाया करती थी, लेकिन वे नहीं जाते थे. एक बार काफी समय बाद धर्मराज यम बहन के लगातार बुलाने पर यम द्वितीया के दिन उनके घर पहुंचे. भाई के घर आने की खुशी में यमुना ने भाई का खूब सत्कार किया. उन्हें तिलक लगा कर पूजन किया. बस, उसी दिन से भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है.
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