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Sankashti Chaturthi 2021 Moonrise Time: जानें पंचांग के अनुसार आपके शहर में क्या है आज चंद्रोदय का समय
Bhalachandra Sankashti Chaturthi 2021 Moonrise Time today: आज का दिन धार्मिक दृष्टि से विशेष है. पंचांग के अनुसार आज संकष्टी चतुर्थी तिथि है. ये चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है. इस दिन चंद्रोदय का दर्शन करना काफी कल्याणकारी माना जाता है. आइए जानते हैं आपके शहर में पंचांग के अनुसार चंद्रोदय का समय क्या है?
आज भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है. इस दिन भगवान गणेश के प्रतिरूप चंद्रदेव की अराधना करने का बड़ा महत्व है. इसे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करने से समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं. लेकिन ध्यान रहे संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रदेव के दर्शन जरूर करें अन्यथा व्रत असफल हो जाता है.
चंद्र दर्शन का है खास महत्व
संकष्टी चतुर्थी के लिए कहा जाता है कि चांदी या मिट्ठी के कलश में पानी के साथ थोड़ा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना काफी शुभ होता है. इस व्रत का पालन करने वालों के लिए चंद्रोदय या चंद्रोदय समय का बहुत महत्व है.चलिए जानते हैं विभिन्न शहरों में भालचंद्र संकष्टी गणेश चतुर्थी का चंद्रोदय समय क्या है?
यहां जानें आपके शहर में चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय
शहर- चंद्रोदय का समय
दिल्ली- 9.39 PM
मुंबई - 9.43 PM
हैदराबाद- 9.18 PM
नासिक - 9.41 PM
नागपुर- 9.20 PM
इंदौर- 9.36 PM
पुणे- 9.39 PM
चेन्नई - 9.04 PM
बेंगलुरु - 9.16 PM
मैसूर - 9.19 PM
भुवनेश्वर - 8.51 PM
भोपाल - 9.30 PM
कानपुर - 9.23 PM
चंडीगढ़ - 9.45 PM
सूरत - 9.47 PM
अहमदाबाद - 9.50 PM
जयपुर - 9.43 PM
उदयपुर - 9.48 PM
गुवहाटी - 8.35 PM
कोलकाता - 8.44 PM
इन बातों का ध्यान रखें
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी पर कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए नहीं तो इसका पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है. इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए. माता पिता का आर्शीवाद प्राप्त करना चाहिए और जरूरतमंद व्यक्तियों को दान आदि देना चाहिए.
व्रत कथा
संकष्टी चतुर्थी की प्रचलित कथा है कि एक बार शिव पार्वती नदी किनारे विहार कर रहे थे, उन्हें चौपड़ खेलने की इच्छा हुई. लेकिन हार जीत का फैसला देने वाला कोई नहीं था. दोनों ने एक मिट्टी का पुतला बनाया और उसमें जान फूंक दी. चौपड़ के खेल में माता पार्वती हर बार शंकर जी से जीत रहीं थी. उसी समय भूल वश पुतले से बने बालक ने एक खेल में माता को हारा हुआ घोषित कर दिया, इससे क्रुद्ध माता पार्वती ने उसे लंगड़े होने का श्राप दे दिया. बालक ने बहुत अनुनय विनय की तो माता ने कहा कि वह श्राप तो वापस नहीं ले सकती हैं. इस नदी पर संकष्टी को कुछ कन्याएं व्रत करने आती हैं. तुम चाहो तो उनसे व्रत पूछ कर अपना उद्धार कर सकते हो. बालक ने संकष्टी का व्रत किया और भगवान गणेश के आशीर्वाद से वापस कैलाश पहुँच गया. वह शाप मुक्त हो चुका था.
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