Bharani Nakshatra: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति का भविष्य उसके जन्म लेते ही तय हो जाता है. उसके जीवन का भविष्य कैसा होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस नक्षत्र और राशि में जन्म लिया है. ज्योतिष शास्त्र के आधार पर किसी के जीवन के बारे में पूर्वानुमान उसके राशि और जिस नक्षत्र में जन्म लिया है, के आधार पर लगाया जा सकता है. आइये आज भरणी नक्षत्र में जन्मे लोगों के बारे में जानें.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन जातकों का जन्म भरणी नक्षत्र में हुआ है. उनकी राशि मेष होती है, ऐसे जातक बहुत ही साहसी और स्वाभिमानी होते हैं. भरणी नक्षत्र का स्वामी शुक्र और मेष राशि का स्वामी मंगल होता है. इस लिए भरणी नक्षत्र में जन्मे जातकों पर मंगल और शुक्र दोनों का प्रभाव जीवन भर रहता है. मंगल को ऊर्जा, साहस कला और सौंदर्य का कारक माना जाता है.
भरणी नक्षत्र आकाश मंडल का दूसरा नक्षत्र है. इसका अर्थ धारक होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री भरणी थी. इनका विवाह चंद्रमा के साथ हुआ था. उन्हीं के नाम पर इस नक्षत्र का नाम भरणी पड़ा. भरणी नक्षत्र में यम का व्रत और पूजन किया जाता है.
भरणी नक्षत्र में जन्मे लोगों का स्वभाव, गुण और व्यक्तित्व
भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग बहुत साहसी और स्वाभिमानी होते हैं. ये लोग धुन के पक्के होते हैं. जिस कार्य को करने के लिए ठान लेते हैं. उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं. ये लोग सच बोलेन वाले, उत्तम विचार रखने वाले, धार्मिक कार्यों में रूचि रखने वाले, फोटोग्राफी में रूचि रखने वाले होते है. ये वायदा करते है तो उसे अंत तक निभाते हैं. ये लोग धन को काफी सोच समझकर खर्च करते हैं. इन्हें अवसरों का इंतजार करना पसंद नहीं बल्कि ये अवसर की खोज करते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले की कुंडली में शुक्र और मंगल ख़राब स्थिति में हैं. तो ऐसे व्यक्ति हमेशा क्रूर स्वभाव के होते हैं. ये लोग जल से डरने वाले, बुरे स्वभाव वाले और निंदित होते हैं.