Bhaum Pradosh Vrat 2024: ज्येष्ठ माह के पहला प्रदोष व्रत कब ? नोट करें डेट, मुहूर्त
Bhaum Pradsoh vrat 2024: ज्येष्ठ में प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है, जिससे भौम प्रदोष व्रत का संयोग बनेगा. इस दिन पूजा से हनुमान जी, शिव जी का आशीष मिलेगा. जानें ज्येष्ठ भौम प्रदोष व्रत की डेट
Bhaum Pradsoh vrat 2024: शास्त्रों के अनुसार जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है. ये शिव-पार्वती जी की पूजा का सबसे खास दिन माना गया है. इस बार ज्येष्ठ माह (Jyestha month) में भौम प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का संयोग बन रहा है.
कर्ज, दरिद्रता, दुख से मुक्ति के लिए मंगलवार को पड़ने वाला भौम प्रदोष व्रत बहुत महत्वपूर्ण है. जानें ज्येष्ठ महीने के भौम प्रदोष व्रत 2024 की डेट, पूजा मुहूर्त और महत्व.
ज्येष्ठ भौम प्रदोष व्रत 2024 डेट (Bhaum Pradsoh vrat 2024 Date)
ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत 4 जून 2024, मंगलवार को है. इस भौम प्रदोष व्रत में शाम को शिव (Shiv ji)और हनुमान जी (Hanuman ji) की पूजा से संकटों का नाश होगा. कुंडली में मांगलिक दोष से पीड़ित हैं, विवाह में दिक्कतें आ रही हैं तो ये व्रत जरुर करें.
ज्येष्ठ भौम प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त (Bhaum Pradsoh vrat 2024 Muhurat)
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 4 जून 2024 को प्रात: 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी. इसकी समाप्ति 4 जून 2024 को रात 10 बजकर 01 मिनट पर होगी.
- पूजा मुहूर्त - रात 07.16 - रात 09.18
- अवधि - 2 घंटे 01 मिनट
भौम प्रदोष व्रत महत्व (Bhaum Pradsoh vrat Significance)
शिव जी के आशीर्वाद से संतान, सुख, धन, दौलत, आरोग्य आदि सब की प्राप्ति हो सकती है. इस दिन भगवान शिव और हनुमान की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. शिव की उपासना से जीवन खुशहाल और हनुमान की पूजा से शत्रुओं का विनाश होता है.
भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Bhaum Pradsoh vrat Puja vidhi)
- भौम प्रदोष व्रत दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें. इस दिन लाल वस्त्र पहनें.
- सुबह सूर्य देव को जल अर्पित कर हनुमान जी की पूजा, पाठ करें. चोला चढ़ाएं.
- शाम को स्नान के बाद भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें, उन्हें पुष्प अर्पित करें.
- शिवलिंग पर पांच फल, पंच मेवा और पंच मिष्ठान का भोग लगाएं. पूजा के समय पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहें. अंत में आरती करें.
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