Bhimashankar Jyotirlinga: यहां शिव के पसीने से निकली है नदी, कैसे हुई भीमाशंकर की स्थापना
Bhimashankar Jyotirlinga: शिव और कुंभकर्ण के बेटे भीमा से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का गहरा संबंध है. जानते हैं भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की रोचक बातें, इतिहास और कथा
Bhimashankar Jyotirlinga, Sawan 2023: 12 ज्योतिर्लिंग में छठा स्थान भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का आता है.महाराष्ट्र से थोड़ी दूर सहाद्रि नामक पर्वत स्थिति भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का संबंध रावण के भाई कुंभकरण के बेटे से है.
शिव पुराण में उल्लेख मिलता है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में सूर्योदय के बाद जो भी सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की रोचक बातें, इतिहास और कथा
भीमाशंकर में शंकर जी के पसीने से निकली नदी (Bhimashankar Jyotirlinga Interesting facts)
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नामस से जाना जाता है. यहां शिवलिंग का आकार काफी मोटा है इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव कहा जाता है. इस मंदिर के समीप एक नदी बहती है, जिसका नाम भीमा नदी है. यह नदी आगे जाकर कृष्णा नदी में मिलती है.
शिव पुराण के अनुसार यहां राक्षस भीमा और भगवान शंकर के बीच भयंकर युद्ध हुआ था. इसमें शिव के शरीर निकले पसीने की बूंद से ही भीमारथी नदी का निर्माण हुआ है.
भीमाशंकर से है कुंभकरण के बेटे का संबंध (Bhimashankar Jyotirlinga Katha)
त्रेतायुग में रावण के भाई कुंभकर्ण का एक पुत्र था भीमा. भीमा का जन्म कुंभकर्ण की मृत्यु के बाद हुआ, जब उसे ज्ञात हुआ कि उसके पिता का वध भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम ने किया है तो वह क्रोधित हुआ. भगवान विष्णु से बदला लेने के लिए ब्रह्मा को तप कर प्रसन्न कर लिया. ब्रह्मा जी के वरदान से भीमा बहुत शक्तिशाली हो गया और देवलोक पर अपना राज्य स्थापित कर लिया.
शिव ने किया भीमा का विनाश
संसार को इस राक्षस से बचाने के लिए राजा कामरूप शिव जी भक्ति करने लगे. भीमा को जब ये पता चला तो उसने राजा को कारागार में डाल दिया. राजा वहां भी शिवलिंग बनाकर पूजा करने लगा, क्रोध में आकर भीमा ने जैसे ही तलवार से शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया, स्वंय शिव जी प्रकट हो गए. भीम और शिव जी के बीच भंयकर युद्ध हुआ और उसमें महादेव की हुंकार से भीमा का विनाश हो गया. इसके बाद सभी देवताओं ने महादेव से इसी स्थान पर शिवलिंग रूप में निवास करने को कहा, तब से ही यहां शिव को भीमाशंकर के नाम से पूजा जाता है.
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