Bhoot Chaturdashi 2023: भूत चतुर्दशी कब ? आत्माओं से है इसका संबंध, क्यों और कैसे मनाया जाता है ये पर्व जानें
Bhoot Chaturdashi 2023: भूत चतुर्दशी का त्योहार आत्माओं से जुड़ा है. इसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है लेकिन भूत चतुर्दशी क्यों और कैसे मनाई जाती है, जानें इसकी डेट और महत्व.
Bhoot Chaturdashi 2023: दिवाली उत्सव के दौरान धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन इस दौरान पश्चिम बंगाल में एक और पर्व मनाया जाता है, जिसे भूत चतुर्दशी (Bhoot Chaturdashi) के नाम से जाना जाता है.
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भूत चतुर्दशी (Bhoot Chaturdashi) के नाम से भी जाना जाता है. इसे नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली और काली चौदस भी कहते हैं. भूत चतुर्दशी दिवाली से एक दिन पहले आती है. जानें भूत चतुर्दशी की डेट, महत्व
भूत चतुर्दशी 2023 डेट (Bhoot Chaturdashi 2023 Date)
भूत चतुर्दशी 11 नवंबर 2023 को है. शास्त्रों के अनुसार भूत चतुर्दशी के दिन तांत्रिक पूजा रात्रि में होती है.कई अघोरी एक साथ पूजा और अनुष्ठान करके इस दिन भूत उत्सव मनाते हैं. मान्यता है कि भूत चतुर्दशी के दिन एक परिवार के 14 पूर्वज अपने जीवित रिश्तेदारों से मिलने के लिए घर पर पहुंचते हैं
क्यों मनाई जाती है भूत चतुर्दशी (Bhoot Chaturdashi Significance)
भूत चतुर्दशी के नाम से पता चलता है कि यह पर्व भूत-प्रेत या आत्माओं से जुड़ा हुआ है. भूत चतुर्दशी के दिन शाम के बाद यहां तांत्रिक क्रियाओं के लिए तांत्रिकों या अघोरियों का जमावड़ा लगता है. माना जाता है कि तंत्र साधना से तांत्रिक भूतों को बुलाते हैं और इसी कारण से इस संपूर्ण क्रिया को भूत उत्सव के रूप में जाना जाता है. इसे अपने पूर्वजों की चौदह पीढ़ियों के सम्मान की परंपरा कहा जाता है. भूत चतुर्दशी की रात 14 दीए पूर्वजों के नाम जलाए जाते हैं. कहा जाता है कि इस रात बुरी शक्तियां अधिक हावी होती हैं और इन बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए दीप जलाते हैं.
भूत चतुर्दशी कैसे मनाई जाती है (Bhoot Utsav)
भूत चतुर्दशी को भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. इस दिन यम के नाम भी दीपक जलाया जाता है. देशी में ऐसी कई जगह हैं जहां अघोरी तांत्रिक क्रियाएं होती हैं, ऐसा माना जाता है कि तंत्र से तांत्रिक भूतों को बुलाते हैं.इस दिन को भूत उत्सव के रूप में मनाते हैं. वहीं पश्चिम बंगाल में इस दिन काली मां की पूजा होती है तंत्र शास्त्र के साधक भी महाकाली की साधना को सर्वाधिक प्रभावशाली मानते हैं. बुरी आत्माओं के छाया से मुक्ति के लिए काली मां की पूजा अचूक मानी जाती है.
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