Birbal Ke Kisse in Hindi: बीरबल के किस्सों को जानकर आप उससे नैतिकता, कभी हार न मनाने, सत्य का साथ देने, चतुराई से किसी की जान बचाने, सही मार्ग दिखाने जैसे गुणों की सीख ले सकते हैं. बीरबल के इन्हें गुणों से बादशाह अकबर को भी वो बहुत खास थे और वह अहम निर्णय लेने से पहले बीरबल की सलाह जरूर लेते हैं.


एक बार बादशाह अकबर ने छोटे बच्चे को बच्चा समझने की भूल कर दी. तब बीरबल ने बच्चा बनकर उन्हें ऐसा परेशान किया कि, बादशाह अकबर अपना सिर पकड़कर बैठ गए.



बीरबल के किस्से: जब बीरबल बना छोटा बच्चा


एक बार बादशाह अकबर बीरबल का काफी देर से इंतजार कर रहे थे. लेकिन बीरबल को दरबार आने में देर हो गई. बीरबल के दरबार पहुंचते ही अकबर ने उससे देर से आने का कारण पूछा. बीरबल ने कहा कि, आते समय उनके छोटे-छोटे बच्चों ने उन्हें रोक लिया और कहीं न जाने की जिद्द करने लगे. लेकिन मैं किसी तरह तरह बच्चों को बहला-बुझाकर निकला हूं, जिस कारण मुझे देरी हो गई.


अकबर को बीरबल की बातों पर बिल्कुल यकीन नहीं हुआ और वो सोचने लगे कि जरूर बीरबल देर से आने के कारण झूठा बहाना बना रहे हैं. अकबर ने बीरबल से कहा कि, बच्चे तो छोटे होते हैं और उन्हें मनाना इतना भी कठिन काम नहीं है. अगर वे ना मानें तो कभी-कभार थोड़ा डांट-डपटकर उन्हें शांत भी किया जा सकता है.


जब बीरबल बने छोटे बच्चे


लेकिन बीरबल जानते थे कि बच्चों को समझाना कितना कठिन है. इसलिए बीरबल अकबर की इस बात से संतुष्ट नहीं थे. तब बीरबल को एक उपाय सूझा. उसने अकबर के सामने एक शर्त रखी और कहा कि, जाहंपनाह! मैं इस बात को साबित कर सकता हूं कि वाकई छोटे बच्चों को समझाना मुश्किल का काम होता है. लेकिन इसके लिए एक शर्त है कि, मुझे एक छोटे बच्चे की तरह व्यवहार करना होगा और आपको मुझे समझाना होगा. अकबर भी बीरबल की इस शर्त के लिए मान गए.


इसके बाद बीरबल एक बच्चे की तरह व्यवहार करने लगे. वे चिल्लाने और रोने लगे. अकबर ने उसे मनाते हुए अपनी गोद में बैठा लिया. बीरबल बच्चों की तरह अकबर की गोद में बैठकर उसकी लंबी मूछों से खेलने लगे. कभी वो बच्चों की तरह उनके मुंह बिगाड़ते तो कभी मूछों को खींचते. अब तक तो अकबर को कोई आपत्ति नहीं हो रही थी.


बीरबल की जिद्द से अकबर ने पकड़ लिया अपना सिर


इसके बाद बीरबल अकबर के मूछों से खेलते हुए थक गए. इसके बाद उन्होंने गन्ना खाने की जिद्द की. अकबर ने बच्चा बने बीरबल के लिए अपने सैनिकों को गन्ना लाने का आदेश दिया. जब गन्ना आया तो बीरबल ने जिद पकड़ ली कि उसे छिला हुआ गन्ना चाहिए. फिर छिला हुआ गन्ना लाया गया. इसके बाद बीरबल जोर-जोर से बच्चों की तरह रोने लगे और नई जिद्द पकड़ ली कि उन्हें गन्ना छोटे-छोटे टुकड़ों मे कटा हुआ चाहिए.


इसके बाद गन्ने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा गया. अकबर ने टुकड़ों में कटे गन्ने को बीरबल को खाने के लिए कहा तो बीरबल ने उन टुकड़ों को जमीन पर फेंक दिया. बीरबल की इन हरकतों से राजा को बहुत गुस्सा आ गया. राजा ने गुस्से से बीरबल से कहा, तुमने गन्ने को नीचे क्यों फेंका? चुपचाप से इसे खा लो.” डांट सुनकर बीरबल अब और भी जोर-जोर से रोने और चीखने-चिल्लाने लग गए.


इसके बाद अकबर ने प्यार से पूछा, कहो बीरबल. तुम क्यों रो रहे हो?. बीरबल ने कहा, मुझे अब छोटा नहीं बड़ा गन्ना चाहिए. अकबर ने एक बड़ा गन्ना लाकर दिया. लेकिन बीरबल ने उस बड़े गन्ने को हाथ तक न नहीं लगाया.


इसके बाद तो अकबर का गुस्सा और बढ़ गया. उन्होंने बीरबल से कहा कि तुम्हारी जिद्द के अनुसार तुम्हें बड़ा गन्ना लाकर दिया गया है फिर तुम इसे खाए बिना क्यों रो रहे हो.  बीरबल ने जवाब दिया, मुझे इन्हीं छोटे-छोटे टुकड़ों को जोड़कर एक बड़ा गन्ना खाना है. इसके बाद अकबर ने बीरबल की इस जिद्द को सुनकर अपना सिर पकड़ लिया और अपनी जगह जाकर बैठ गए.


अकबर को परेशान देखकर बीरबल ने बच्चा बनने का नाटक खत्म किया और अकबर से पूछा, क्या अब मेरी बात से सहमत हैं कि, बच्चों को समझाना यकीनन मुश्किल काम है. अकबर ने हां कहते हुए अपना सिर हिलाया और बीरबल को देखकर मुस्कुराने लगे.


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